अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: इस साल ईद-उल-अजहा का त्योहार अगले महीने मनाया जाएगा। इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। यह इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसको लेकर मरकजी चांद कमेटी की ओर से आधिकारिक एलान कर दिया गया है। मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि इस बार 7 जून को बकरीद मनाई जाएगी। बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है। मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल के सदर और काजी-ए-शहर मौलाना खालिद रशीद फंरगी महली इमाम ईदगाह लखनऊ ने ऐलान किया है कि आज 29 जीकादा (28 मई 2025) को जिलहिज्ज का चांद हो गया है। इसलिए जिलहिज्ज की पहली तारीख 29 मई 2025 को होगी। इस प्रकार ईद-उल-अजहा (बकरईद) 7 जून 2025 को होगी। इस्लाम धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर थे। वह खुदा में पूरा विश्वास रखते थे। ऐसा कहा जाता है कि एक बार पैगंबर ने हजरत इब्राहिम से कहा कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें। रमजान के 70 दिन बाद होती है बकरीद पैगंबर की बात सुनकर उन्होंने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया। जैसे ही इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे तभी अल्लाह ने अपने दूत भेजकर बेटे को एक बकरे में बदल दिया। तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाता है। वहीं बकरीद के दिन जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है उसे तीन भागों में बांटा जाता है। जिसका पहला हिस्सा अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों को दिया जाता है। दूसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों और तीसरा परिवार के लोगो को दिया जाता है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है।
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