पटना: बिहार की राजनीति से एक बड़ी खबर सामने आई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) यानी LJPR ने चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। हालांकि इस बात की चर्चा पहले से थी, लेकिन अब पार्टी ने फैसला ले लिया है। इससे बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई है। खासकर एनडीए खेमे में अटकलें तेज हो गई हैं। चिराग पासवान का केंद्र की राजनीति छोड़कर बिहार की राजनीति में आना, तेजस्वी यादव के लिए भी एक चुनौती है। एलजेपीआर ने यह भी फैसला किया है कि चिराग पासवान किसी सामान्य सीट यानी रिजर्व नहीं जेनरल सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि चिराग पासवान का चुनाव लड़ना बिहार की राजनीति के लिए कितना बड़ा है? क्या यह तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी है।
राजनीतिक ताकत बढ़ाना चाहते हैं चिराग!
दरअसल, चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने का एलजेपीआर का फैसला बिहार की राजनीति में एक बड़ा कदम है। सियासी पंडितों का मानना है कि चिराग पासवान बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाना चाहते हैं। उनकी कुछ महत्वाकांक्षाएं भी हैं। ये महत्वाकांक्षाएं क्या हैं, यह तो समय बताएगा। लेकिन, एलजेपीआर के इस फैसले के पीछे कोई बड़ी योजना जरूर है। राजनीतिक पंडितों की माने तो चिराग पासवान बिहार में अपना भविष्य देख रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों की राजनीति पर असर पड़ेगा। नीतीश कुमार अब उम्रदराज हो रहे हैं और उनकी राजनीतिक पकड़ भी कमजोर हो रही है। वह 2025 में एनडीए का चेहरा जरूर होंगे, लेकिन आगे वह कितने सक्रिय रहेंगे, यह देखना होगा। ऐसे में चिराग पासवान की पार्टी को लगता है कि आगे एनडीए में एक ऐसे चेहरे की जरूरत होगी, जिसे चिराग पासवान पूरा कर सकते हैं।
बहुत पहले से चिराग दे रहे संकेत
चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा आज की नहीं है। उन्होंने पहले भी कहा था कि बिहार मुझे पुकार रहा है। बिहार मेरी हमेशा से प्राथमिकता रही है और अगर पार्टी कहेगी तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं अभी सांसद हूं, लेकिन अब लगता है कि मुझे बिहार में ही रहकर काम करना चाहिए। मेरा सपना है कि बिहार के युवाओं को अपना प्रदेश छोड़कर बाहर ना जाना पड़े। मेरी पार्टी और मैंने यह इच्छा जताई है कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता हूं।
तो बिहार का चेहरा बनना चाहते हैं चिराग पासवान
राजनीति के जानकार भी कहते हैं कि चिराग पासवान बिहार का चेहरा बनना चाहते हैं। 2013 में जब वह राजनीति में आए थे, तब से ही उन्होंने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा दिया था। वह लगातार युवाओं की बात करते रहे हैं। ऐसे में वह आने वाले समय में तेजस्वी यादव के सामने एक युवा चेहरा होंगे। बिहार में युवा नेता के तौर पर सिर्फ तेजस्वी यादव का नाम ही सबसे आगे है। उन्हें लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत भी मिली है। जातिगत समीकरण भी उनके साथ हैं। बिहार के दो-तिहाई मतदाताओं (मुस्लिम-यादव) पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो तेजस्वी यादव की चुनौती बढ़ जाएगी।
जेनरल सीट से चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान
चिराग पासवान का सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला भी एक बड़ा दांव माना जा रहा है। वह जातिवादी राजनीति से दूर रहने की कोशिश करते हैं, जो आज की युवा पीढ़ी को पसंद है। चिराग पासवान युवा वर्ग में जातिगत दायरे से बाहर भी लोकप्रिय हैं। बिहार में वह जहां भी जाते हैं, उन्हें देखने-सुनने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है। नए जेनरेशन को वह इसलिए पसंद हैं क्योंकि उन्होंने अपने भाषणों में कभी जातिवादी राजनीति करने की कोशिश नहीं की। अब जब उन्होंने सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो वह यह संदेश देना चाहते हैं कि वह सक्षम हैं और उनकी स्वीकार्यता सभी वर्गों में है। वह यह भी बताना चाहते हैं कि रिजर्व कैटेगरी की सीट को वह कमजोर तबके के नेता के लिए खाली छोड़ेंगे, जो एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा।
राजनीतिक ताकत बढ़ाना चाहते हैं चिराग!
दरअसल, चिराग पासवान को बिहार विधानसभा चुनाव में उतारने का एलजेपीआर का फैसला बिहार की राजनीति में एक बड़ा कदम है। सियासी पंडितों का मानना है कि चिराग पासवान बिहार में अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ाना चाहते हैं। उनकी कुछ महत्वाकांक्षाएं भी हैं। ये महत्वाकांक्षाएं क्या हैं, यह तो समय बताएगा। लेकिन, एलजेपीआर के इस फैसले के पीछे कोई बड़ी योजना जरूर है। राजनीतिक पंडितों की माने तो चिराग पासवान बिहार में अपना भविष्य देख रहे हैं। उनके चुनाव लड़ने से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों की राजनीति पर असर पड़ेगा। नीतीश कुमार अब उम्रदराज हो रहे हैं और उनकी राजनीतिक पकड़ भी कमजोर हो रही है। वह 2025 में एनडीए का चेहरा जरूर होंगे, लेकिन आगे वह कितने सक्रिय रहेंगे, यह देखना होगा। ऐसे में चिराग पासवान की पार्टी को लगता है कि आगे एनडीए में एक ऐसे चेहरे की जरूरत होगी, जिसे चिराग पासवान पूरा कर सकते हैं।
बहुत पहले से चिराग दे रहे संकेत
चिराग पासवान की महत्वाकांक्षा आज की नहीं है। उन्होंने पहले भी कहा था कि बिहार मुझे पुकार रहा है। बिहार मेरी हमेशा से प्राथमिकता रही है और अगर पार्टी कहेगी तो मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं अभी सांसद हूं, लेकिन अब लगता है कि मुझे बिहार में ही रहकर काम करना चाहिए। मेरा सपना है कि बिहार के युवाओं को अपना प्रदेश छोड़कर बाहर ना जाना पड़े। मेरी पार्टी और मैंने यह इच्छा जताई है कि मैं विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता हूं।
तो बिहार का चेहरा बनना चाहते हैं चिराग पासवान
राजनीति के जानकार भी कहते हैं कि चिराग पासवान बिहार का चेहरा बनना चाहते हैं। 2013 में जब वह राजनीति में आए थे, तब से ही उन्होंने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा दिया था। वह लगातार युवाओं की बात करते रहे हैं। ऐसे में वह आने वाले समय में तेजस्वी यादव के सामने एक युवा चेहरा होंगे। बिहार में युवा नेता के तौर पर सिर्फ तेजस्वी यादव का नाम ही सबसे आगे है। उन्हें लालू प्रसाद यादव की राजनीतिक विरासत भी मिली है। जातिगत समीकरण भी उनके साथ हैं। बिहार के दो-तिहाई मतदाताओं (मुस्लिम-यादव) पर उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो तेजस्वी यादव की चुनौती बढ़ जाएगी।
जेनरल सीट से चुनाव लड़ेंगे चिराग पासवान
चिराग पासवान का सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला भी एक बड़ा दांव माना जा रहा है। वह जातिवादी राजनीति से दूर रहने की कोशिश करते हैं, जो आज की युवा पीढ़ी को पसंद है। चिराग पासवान युवा वर्ग में जातिगत दायरे से बाहर भी लोकप्रिय हैं। बिहार में वह जहां भी जाते हैं, उन्हें देखने-सुनने के लिए भीड़ उमड़ पड़ती है। नए जेनरेशन को वह इसलिए पसंद हैं क्योंकि उन्होंने अपने भाषणों में कभी जातिवादी राजनीति करने की कोशिश नहीं की। अब जब उन्होंने सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो वह यह संदेश देना चाहते हैं कि वह सक्षम हैं और उनकी स्वीकार्यता सभी वर्गों में है। वह यह भी बताना चाहते हैं कि रिजर्व कैटेगरी की सीट को वह कमजोर तबके के नेता के लिए खाली छोड़ेंगे, जो एक बड़ा राजनीतिक संदेश होगा।
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