नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से कर्नाटक की वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कर वोट चोरी करने जैसे लगाए गए गंभीर आरोपों पर चुनाव आयोग ने रविवार को पहली बार सख्त रुख दिखाया है। मामले में कर्नाटक के सीईओ की तरफ से राहुल गांधी को नोटिस जारी करके एक महिला वोटर के मामले में दस्तावेज मांगे गए हैं। साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि राहुल गांधी ने मतदाताओं द्वारा मत देते समय किए जाने वाली साइन की जो टिक मार्क लिस्ट दिखाई है। वह आयोग ने उन्हें दी ही नहीं, वह जाली है।
चुनाव आयोग ने एक बार फिर से राहुल गांधी को कहा है कि वह सीईओ कर्नाटक के पहले पत्र पर अभी भी समय रहते साइन करके डिक्लेरेशन दें या फिर देश से माफी मांगे। नहीं तो उनके द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो भी जानकारी दी गई है। उस बारे में चुनाव आयोग हर एक केस की जांच करके सचाई उजागर करेगा। आयोग ने बताया कि राहुल गांधी ने जिन महिला के बारे में दो वोटर कार्ड रखने और दो बार वोट देने का आरोप लगाया था। वह झूठा पाया गया है। उक्त महिला वोटर ने इसका खंडन किया है। आयोग सूत्रों ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी के कथित झूठ के खिलाफ एक्शन बढ़ता जाएगा।
आयोग उन सभी वोटरों तक भी पहुंचेगा। जिनके बारे में राहुल गांधी ने जीरो एड्रेस होने और वोटर ना होने जैसे कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। आयोग अधिकारियों ने कहा कि राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाताओं द्वारा साइन की हुई जिस मार्क वोटर लिस्ट को दिखाया है। वह कोई भी पोलिंग ऑफिसर किसी को भी शेयर कर ही नहीं सकता। आयोग ने उस विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग ऑफिसर से भी इस बारे में पूछताछ की। जिसमे उस पोलिंग ऑफिसर ने ऐसी किसी भी लिस्ट को राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता से शेयर करने से साफ इंकार किया है। ऐसे में यह साफ है कि वह लिस्ट राहुल गांधी ने खुद से बनाई या बनवाई। जो की जाली है। इसके अलावा उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो भी जानकारी दी। वह भ्रामक और लोगों को गुमराह करने वाली है।
झूठे दावे पेश करने पर क्या है सजा का प्रावधान? इस तरह से आयोग के सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग के जाली दस्तावेज बनाने, जाली दस्तावेज रखने, लोगों को गलत जानकारी देने समेत अन्य तरह से झूठे दावे पेश करने के आरोप में सात-सात साल तक की सजा का प्रावधान है। आयोग का कहना है कि सीईओ कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र और हरियाणा के सीईओ ऑफिस की तरफ से अपने-अपने स्तर पर जांच करना शुरू कर दिया है। यह जांच उन वोटरों की की जा रही है। जो उन्होंने स्पेसिफिक तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए। लेकिन बड़ी संख्या में जिन वोटरों के घर नहीं होने, फेक वोटर होने और अन्य तरह से वोट चोरी के जो भी आरोप लगाए गए हैं। उनके लिए राहुल गांधी को दस्तावेज तो देने ही होंगे, वरना अपनी गलती माननी होगी।
बिहार की वोटर लिस्ट पर जानकारी इसके अलावा चुनाव आयोग ने बिहार की वोटर लिस्ट के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया है कि जिन 65 लाख वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए। उन सभी की लिस्ट तमाम राजनीतिक दलों को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिकेशन करने से पहले और बाद में भी शेयर की गई। जो भी नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि आयोग ने उन्हें 65 लाख वोटरों की लिस्ट नहीं दी। वह सब झूठ बोल रहे हैं।
चुनाव आयोग ने एक बार फिर से राहुल गांधी को कहा है कि वह सीईओ कर्नाटक के पहले पत्र पर अभी भी समय रहते साइन करके डिक्लेरेशन दें या फिर देश से माफी मांगे। नहीं तो उनके द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो भी जानकारी दी गई है। उस बारे में चुनाव आयोग हर एक केस की जांच करके सचाई उजागर करेगा। आयोग ने बताया कि राहुल गांधी ने जिन महिला के बारे में दो वोटर कार्ड रखने और दो बार वोट देने का आरोप लगाया था। वह झूठा पाया गया है। उक्त महिला वोटर ने इसका खंडन किया है। आयोग सूत्रों ने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में राहुल गांधी के कथित झूठ के खिलाफ एक्शन बढ़ता जाएगा।
आयोग उन सभी वोटरों तक भी पहुंचेगा। जिनके बारे में राहुल गांधी ने जीरो एड्रेस होने और वोटर ना होने जैसे कई तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। आयोग अधिकारियों ने कहा कि राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मतदाताओं द्वारा साइन की हुई जिस मार्क वोटर लिस्ट को दिखाया है। वह कोई भी पोलिंग ऑफिसर किसी को भी शेयर कर ही नहीं सकता। आयोग ने उस विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग ऑफिसर से भी इस बारे में पूछताछ की। जिसमे उस पोलिंग ऑफिसर ने ऐसी किसी भी लिस्ट को राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता से शेयर करने से साफ इंकार किया है। ऐसे में यह साफ है कि वह लिस्ट राहुल गांधी ने खुद से बनाई या बनवाई। जो की जाली है। इसके अलावा उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो भी जानकारी दी। वह भ्रामक और लोगों को गुमराह करने वाली है।
झूठे दावे पेश करने पर क्या है सजा का प्रावधान? इस तरह से आयोग के सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग के जाली दस्तावेज बनाने, जाली दस्तावेज रखने, लोगों को गलत जानकारी देने समेत अन्य तरह से झूठे दावे पेश करने के आरोप में सात-सात साल तक की सजा का प्रावधान है। आयोग का कहना है कि सीईओ कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र और हरियाणा के सीईओ ऑफिस की तरफ से अपने-अपने स्तर पर जांच करना शुरू कर दिया है। यह जांच उन वोटरों की की जा रही है। जो उन्होंने स्पेसिफिक तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए। लेकिन बड़ी संख्या में जिन वोटरों के घर नहीं होने, फेक वोटर होने और अन्य तरह से वोट चोरी के जो भी आरोप लगाए गए हैं। उनके लिए राहुल गांधी को दस्तावेज तो देने ही होंगे, वरना अपनी गलती माननी होगी।
बिहार की वोटर लिस्ट पर जानकारी इसके अलावा चुनाव आयोग ने बिहार की वोटर लिस्ट के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया है कि जिन 65 लाख वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से काटे गए। उन सभी की लिस्ट तमाम राजनीतिक दलों को वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिकेशन करने से पहले और बाद में भी शेयर की गई। जो भी नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि आयोग ने उन्हें 65 लाख वोटरों की लिस्ट नहीं दी। वह सब झूठ बोल रहे हैं।
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