पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल पर करारा प्रहार करते हुए 2005 से पहले के दौर को याद किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने 20 सालों में क्या बदलाव किए। सीएम नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि 2005 से पहले का दौर आप सब सबको याद होगा, जब बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। हर तरफ अराजकता का माहौल था। लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। शाम 6 बजे के बाद लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते थे। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। राज्य में अपहरण का धंधा उद्योग का रूप धारण कर चुका था। शोरूम से दिनदहाड़े गाड़ियां लूट ली जाती थीं।
नीतीश ने बताया 2005 से पहले का बिहारबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर लिखा, '2005 से पहले का दौर आप सब को याद होगा, जब बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। हर तरफ अराजकता का माहौल था। लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। शाम 6 बजे के बाद लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते थे। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। राज्य में अपहरण का धंधा उद्योग का रूप धारण कर चुका था। शोरूम से दिनदहाड़े गाड़ियां लूट ली जाती थीं। अपराधियों के भय से कोई नई गाड़ी नहीं खरीदना चाहता था। पैसा रहते हुए भी कोई नया मकान नहीं बनाना चाहता था। राज्य में रंगदारों के आतंक की वजह से उद्योग-धंधे बंद हो चुके थे। राज्य से डॉक्टर-इंजीनियर पलायन कर रहे थे। पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी। बिहार में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई थी। अपराध को सत्ता से सीधे संरक्षण मिल रहा था और सत्ता में बैठे लोगों ने शासन-प्रशासन को पूरी तरह से पंगु बना कर रख दिया था। राज्य की जनता डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर थी। बिहारी कहलाना अपमान की बात थी।'
सत्ता संभालते ही लॉ एंड ऑर्डर पर फोकसनीतीश कुमार ने बताया, 'वर्ष 2005 में जब हमलोगों की सरकार बनी, तो हमने सबसे पहले विधि-व्यवस्था के संधारण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कानून का राज स्थापित किया। अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई। अब राज्य में किसी प्रकार के डर और भय का वातावरण नहीं है। राज्य में प्रेम, भाईचारे और शांति का माहौल है। पहले पुलिस के पास न तो गाड़ियां होती थीं और न हथियार। अत्याधुनिक हथियारों के अभाव में पुलिस का मनोबल काफी नीचे था। वर्ष 2005 में बिहार में थानों की संख्या सिर्फ 817 थी, जिसे बढ़ाकर अब 1380 से भी ज्यादा कर दिया गया है। पुलिस थानों के लिए अत्याधुनिक भवन बनाए गए। साथ ही, पुलिस वाहनों की संख्या कई गुणा बढ़ाई गयी। पुलिस प्रशासन को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया। सिपाही और पुलिस पदाधिकारियों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी गई। स्पेशल ऑग्जिलरी पुलिस (सैप) का गठन किया गया।'
42 हजार से पुलिस का सवा लाख तक सफरलॉ एंड ऑर्डर को लेकर सीएम नीतीश ने कहा, '24 नवंबर 2005 को राज्य में नई सरकार बनने के समय बिहार पुलिस में कार्यरत बल की संख्या काफी कम थी। उस समय मात्र 42 हजार 481 पुलिसकर्मी कार्यरत थे। हमारी सरकार ने वर्ष 2006 में कानून-व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए पुलिस बल की संख्या में बढ़ोत्तरी की। वर्तमान में राज्य में पुलिस बल की संख्या बढ़कर 1 लाख 25 हजार से भी ज्यादा हो गई है। सरकार ने तय किया है कि पुलिस बल की संख्या को और बढ़ाना है। इसके लिए कुल 2 लाख 29 हजार से भी अधिक पदों का सृजन कर तेजी से पुलिसकर्मियों की बहाली की जा रही है।'
पुलिस की हर शाखा में महिलाओं की भागीदारीबिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बताया, 'वर्ष 2013 से ही पुलिस में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बिहार पुलिस में महिला सिपाहियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की गई। साथ ही 'आदिवासी महिला स्वाभिमान बटालियन' का गठन किया गया। बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश में सबसे ज्यादा है। वर्ष 2008 में राज्य सिपाही भर्ती बोर्ड का गठन किया गया और वर्ष 2017 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग का गठन किया गया ताकि पुलिस बल की नियुक्ति शीघ्र हो सके। अपराध के वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई। आपराधिक मामलों के तेजी से निष्पादन के लिए थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधान को अलग-अलग किया गया।'
20 साल में इतना बदला बिहारउन्होंने कहा, 'राज्य की जनता ने 2005 में ही तय कर लिया था कि उसे तरक्की की राह पर बढ़ता हुआ बिहार चाहिए। वर्ष 2005 का वो वक्त बिहार के लिए एक बहुत बड़ा निर्णायक मोड़ था। आज बिहार में न्याय के साथ विकास हो रहा है। युवा वर्ग को नौकरी और रोजगार मिल रहा है। बहन-बेटियों और महिलाओं के उत्थान के लिए नित नए काम हो रहे हैं। नया बिहार, उद्योग और बढ़ते कारोबार वाला बिहार है। बिहार में खुशहाली है। बिहार में सुशासन है। अब बिहारी कहलाना अपमान नहीं सम्मान की बात है। बिहार के लोग अब कभी भी उस अराजक दौर में वापस नहीं लौटेंगे।'
नीतीश ने बताया 2005 से पहले का बिहारबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर लिखा, '2005 से पहले का दौर आप सब को याद होगा, जब बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर था। हर तरफ अराजकता का माहौल था। लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया था। शाम 6 बजे के बाद लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाते थे। हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं थीं। राज्य में अपहरण का धंधा उद्योग का रूप धारण कर चुका था। शोरूम से दिनदहाड़े गाड़ियां लूट ली जाती थीं। अपराधियों के भय से कोई नई गाड़ी नहीं खरीदना चाहता था। पैसा रहते हुए भी कोई नया मकान नहीं बनाना चाहता था। राज्य में रंगदारों के आतंक की वजह से उद्योग-धंधे बंद हो चुके थे। राज्य से डॉक्टर-इंजीनियर पलायन कर रहे थे। पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी। बिहार में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई थी। अपराध को सत्ता से सीधे संरक्षण मिल रहा था और सत्ता में बैठे लोगों ने शासन-प्रशासन को पूरी तरह से पंगु बना कर रख दिया था। राज्य की जनता डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर थी। बिहारी कहलाना अपमान की बात थी।'
सत्ता संभालते ही लॉ एंड ऑर्डर पर फोकसनीतीश कुमार ने बताया, 'वर्ष 2005 में जब हमलोगों की सरकार बनी, तो हमने सबसे पहले विधि-व्यवस्था के संधारण को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कानून का राज स्थापित किया। अपराध और भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई। अब राज्य में किसी प्रकार के डर और भय का वातावरण नहीं है। राज्य में प्रेम, भाईचारे और शांति का माहौल है। पहले पुलिस के पास न तो गाड़ियां होती थीं और न हथियार। अत्याधुनिक हथियारों के अभाव में पुलिस का मनोबल काफी नीचे था। वर्ष 2005 में बिहार में थानों की संख्या सिर्फ 817 थी, जिसे बढ़ाकर अब 1380 से भी ज्यादा कर दिया गया है। पुलिस थानों के लिए अत्याधुनिक भवन बनाए गए। साथ ही, पुलिस वाहनों की संख्या कई गुणा बढ़ाई गयी। पुलिस प्रशासन को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया। सिपाही और पुलिस पदाधिकारियों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी गई। स्पेशल ऑग्जिलरी पुलिस (सैप) का गठन किया गया।'
42 हजार से पुलिस का सवा लाख तक सफरलॉ एंड ऑर्डर को लेकर सीएम नीतीश ने कहा, '24 नवंबर 2005 को राज्य में नई सरकार बनने के समय बिहार पुलिस में कार्यरत बल की संख्या काफी कम थी। उस समय मात्र 42 हजार 481 पुलिसकर्मी कार्यरत थे। हमारी सरकार ने वर्ष 2006 में कानून-व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए पुलिस बल की संख्या में बढ़ोत्तरी की। वर्तमान में राज्य में पुलिस बल की संख्या बढ़कर 1 लाख 25 हजार से भी ज्यादा हो गई है। सरकार ने तय किया है कि पुलिस बल की संख्या को और बढ़ाना है। इसके लिए कुल 2 लाख 29 हजार से भी अधिक पदों का सृजन कर तेजी से पुलिसकर्मियों की बहाली की जा रही है।'
पुलिस की हर शाखा में महिलाओं की भागीदारीबिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बताया, 'वर्ष 2013 से ही पुलिस में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिया गया। महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए बिहार पुलिस में महिला सिपाहियों की बड़ी संख्या में नियुक्ति की गई। साथ ही 'आदिवासी महिला स्वाभिमान बटालियन' का गठन किया गया। बिहार पुलिस में महिलाओं की भागीदारी आज देश में सबसे ज्यादा है। वर्ष 2008 में राज्य सिपाही भर्ती बोर्ड का गठन किया गया और वर्ष 2017 में बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग का गठन किया गया ताकि पुलिस बल की नियुक्ति शीघ्र हो सके। अपराध के वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई। आपराधिक मामलों के तेजी से निष्पादन के लिए थानों में विधि व्यवस्था और अनुसंधान को अलग-अलग किया गया।'
20 साल में इतना बदला बिहारउन्होंने कहा, 'राज्य की जनता ने 2005 में ही तय कर लिया था कि उसे तरक्की की राह पर बढ़ता हुआ बिहार चाहिए। वर्ष 2005 का वो वक्त बिहार के लिए एक बहुत बड़ा निर्णायक मोड़ था। आज बिहार में न्याय के साथ विकास हो रहा है। युवा वर्ग को नौकरी और रोजगार मिल रहा है। बहन-बेटियों और महिलाओं के उत्थान के लिए नित नए काम हो रहे हैं। नया बिहार, उद्योग और बढ़ते कारोबार वाला बिहार है। बिहार में खुशहाली है। बिहार में सुशासन है। अब बिहारी कहलाना अपमान नहीं सम्मान की बात है। बिहार के लोग अब कभी भी उस अराजक दौर में वापस नहीं लौटेंगे।'
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