नई दिल्ली: अमेरिका ने बड़ा दावा किया है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि चीन 25-30 सालों से रेयर अर्थ (दुर्लभ पृथ्वी) पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा था। यह प्रतिबंध चीन दुनिया पर एक तलवार की तरह लटकाए हुए है। अमेरिका इस दौरान सोता रहा। लेकिन, अब जाग गया है। भारत जैसे अपने सहयोगियों को साथ लेकर वह अपनी सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रहा है।
बेसेंट ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा, 'यह सोचना भोलापन था कि चीन रेयर अर्थ पर ये प्रतिबंध नहीं लगाएगा। वे 25-30 सालों से अपनी रेयर अर्थ की योजना बना रहे थे। अमेरिका सो रहा था। लेकिन, अब यह प्रशासन अगले 1-2 सालों में बहुत तेजी से काम करेगा ताकि उस तलवार से बच सके जो चीन हमारे ऊपर और पूरी दुनिया के ऊपर लटकाए हुए है।'
भारत को साथ लेने की कही बात
बेसेंट ने आगे कहा, 'और इस बार हमने सहयोगियों को एकजुट किया है। सभी पश्चिमी लोकतंत्र, एशियाई लोकतंत्र और भारत भी हमारे साथ मिलकर अपनी सप्लाई चेन बनाने की कोशिश करेंगे।' वह बोले कि वाशिंगटन बीजिंग से पूरी तरह अलग नहीं होना चाहता। लेकिन, वे अगर एक अविश्वसनीय साझेदार के साथ जीवित रहना चाहते हैं तो उन्हें खुद को जोखिम से बचाना होगा।
रेयर अर्थ अमेरिका और चीन के बीच बातचीत का मुख्य मुद्दा रही हैं। पर्दे के पीछे चीन ने रेयर अर्थ पर अपनी पकड़ मजबूत की है। वहीं, अमेरिका एक विकल्प खोजने के लिए लाखों डॉलर खर्च कर रहा है। पेंटागन ने यूकोर रेयर मेटल्स को 1.84 करोड़ डॉलर दिए हैं। यह कंपनी रेयर अर्थ प्रोसेसिंग तकनीक विकसित कर रही है। वह लुइसियाना में पहला वाणिज्यिक संयंत्र बनाने जा रही है। यह रेयर अर्थ के एक्सट्रैक्शन और प्यूरिफिकेशन की प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए मेम्ब्रेन तकनीक पर भी काम कर रही है।
अमेरिका की आगे की रणनीति है साफ
इससे पहले बेसेंट ने घोषणा की थी कि मलेशिया में वरिष्ठ चीनी अधिकारियों के साथ दो दिनों की व्यापार वार्ता के बाद चीन रेयर अर्थ सामग्री पर नए, सख्त निर्यात नियंत्रणों के कार्यान्वयन को एक साल के लिए टाल देगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप की ऊंचे टैरिफ की धमकियों ने अमेरिका को वह देरी हासिल करने के लिए जरूरी ताकत दी जिसकी उन्हें तलाश थी। इस समझौते ने रेयर अर्थ पर निर्भर ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकने वाले सख्त चीनी निर्यात नियंत्रणों के तत्काल जोखिम को अस्थायी रूप से हटा दिया।
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि एक साल की अवधि के अंत में क्या होगा तो बेसेंट ने कहा, 'हम फिर से मेज पर होंगे और हमें एक और देरी मिल जाएगी।'
रेयर अर्थ ऐसे 17 रासायनिक तत्वों का समूह है जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक कार की बैटरियां, विंड टरबाइन और रक्षा उपकरण बनाने में इनका इस्तेमाल होता है। चीन दुनिया में दुर्लभ पृथ्वी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इसलिए चीन के पास इन सामग्रियों की सप्लाई को नियंत्रित करने की काफी शक्ति है।
भारत के लिए क्या हैं मायने?अमेरिका इस निर्भरता को कम करने के लिए कई कदम उठा रहा है। वह न केवल घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के साथ मिलकर एक वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रहा है। यह कदम चीन पर निर्भरता कम करने और भविष्य में किसी भी संभावित सप्लाई व्यवधान से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह स्थिति अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक और भू-राजनीतिक तनाव को भी दर्शाती है। रेयर अर्थ जैसे महत्वपूर्ण संसाधन अब व्यापार युद्धों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का हिस्सा बन गए हैं। अमेरिका का लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वह किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भर है।
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ के खनन, प्रसंस्करण और सप्लाई चेन पर चीन का अभूतपूर्व नियंत्रण (लगभग 90% तक) है। अमेरिका के साथ मिलकर एक नई सप्लाई चेन बनाने से भारत की चीन पर निर्भरता कम होगी, जो आर्थिक संप्रभुता के लिए जरूरी है। इस पहल से अमेरिकी निवेश और उन्नत प्रसंस्करण टेक्नोलॉजी भारत में आ सकती है। भारत के पास पर्याप्त दुर्लभ पृथ्वी भंडार हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है। यह साझेदारी उस कमी को दूर कर सकती है। एक स्थिर और वैकल्पिक रेयर अर्थ सप्लाई चेन भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और उच्च-तकनीकी मैन्युफैक्चरिंग का विश्वसनीय केंद्र बनने में मदद करेगी।
बेसेंट ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा, 'यह सोचना भोलापन था कि चीन रेयर अर्थ पर ये प्रतिबंध नहीं लगाएगा। वे 25-30 सालों से अपनी रेयर अर्थ की योजना बना रहे थे। अमेरिका सो रहा था। लेकिन, अब यह प्रशासन अगले 1-2 सालों में बहुत तेजी से काम करेगा ताकि उस तलवार से बच सके जो चीन हमारे ऊपर और पूरी दुनिया के ऊपर लटकाए हुए है।'
भारत को साथ लेने की कही बात
बेसेंट ने आगे कहा, 'और इस बार हमने सहयोगियों को एकजुट किया है। सभी पश्चिमी लोकतंत्र, एशियाई लोकतंत्र और भारत भी हमारे साथ मिलकर अपनी सप्लाई चेन बनाने की कोशिश करेंगे।' वह बोले कि वाशिंगटन बीजिंग से पूरी तरह अलग नहीं होना चाहता। लेकिन, वे अगर एक अविश्वसनीय साझेदार के साथ जीवित रहना चाहते हैं तो उन्हें खुद को जोखिम से बचाना होगा।
रेयर अर्थ अमेरिका और चीन के बीच बातचीत का मुख्य मुद्दा रही हैं। पर्दे के पीछे चीन ने रेयर अर्थ पर अपनी पकड़ मजबूत की है। वहीं, अमेरिका एक विकल्प खोजने के लिए लाखों डॉलर खर्च कर रहा है। पेंटागन ने यूकोर रेयर मेटल्स को 1.84 करोड़ डॉलर दिए हैं। यह कंपनी रेयर अर्थ प्रोसेसिंग तकनीक विकसित कर रही है। वह लुइसियाना में पहला वाणिज्यिक संयंत्र बनाने जा रही है। यह रेयर अर्थ के एक्सट्रैक्शन और प्यूरिफिकेशन की प्रक्रिया को दरकिनार करने के लिए मेम्ब्रेन तकनीक पर भी काम कर रही है।
अमेरिका की आगे की रणनीति है साफ
इससे पहले बेसेंट ने घोषणा की थी कि मलेशिया में वरिष्ठ चीनी अधिकारियों के साथ दो दिनों की व्यापार वार्ता के बाद चीन रेयर अर्थ सामग्री पर नए, सख्त निर्यात नियंत्रणों के कार्यान्वयन को एक साल के लिए टाल देगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप की ऊंचे टैरिफ की धमकियों ने अमेरिका को वह देरी हासिल करने के लिए जरूरी ताकत दी जिसकी उन्हें तलाश थी। इस समझौते ने रेयर अर्थ पर निर्भर ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकने वाले सख्त चीनी निर्यात नियंत्रणों के तत्काल जोखिम को अस्थायी रूप से हटा दिया।
हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि एक साल की अवधि के अंत में क्या होगा तो बेसेंट ने कहा, 'हम फिर से मेज पर होंगे और हमें एक और देरी मिल जाएगी।'
रेयर अर्थ ऐसे 17 रासायनिक तत्वों का समूह है जो आधुनिक तकनीक के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक कार की बैटरियां, विंड टरबाइन और रक्षा उपकरण बनाने में इनका इस्तेमाल होता है। चीन दुनिया में दुर्लभ पृथ्वी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इसलिए चीन के पास इन सामग्रियों की सप्लाई को नियंत्रित करने की काफी शक्ति है।
भारत के लिए क्या हैं मायने?अमेरिका इस निर्भरता को कम करने के लिए कई कदम उठा रहा है। वह न केवल घरेलू स्तर पर रेयर अर्थ के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि भारत, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के साथ मिलकर एक वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रहा है। यह कदम चीन पर निर्भरता कम करने और भविष्य में किसी भी संभावित सप्लाई व्यवधान से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
यह स्थिति अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते आर्थिक और भू-राजनीतिक तनाव को भी दर्शाती है। रेयर अर्थ जैसे महत्वपूर्ण संसाधन अब व्यापार युद्धों और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का हिस्सा बन गए हैं। अमेरिका का लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां वह किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भर है।
वर्तमान में वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ के खनन, प्रसंस्करण और सप्लाई चेन पर चीन का अभूतपूर्व नियंत्रण (लगभग 90% तक) है। अमेरिका के साथ मिलकर एक नई सप्लाई चेन बनाने से भारत की चीन पर निर्भरता कम होगी, जो आर्थिक संप्रभुता के लिए जरूरी है। इस पहल से अमेरिकी निवेश और उन्नत प्रसंस्करण टेक्नोलॉजी भारत में आ सकती है। भारत के पास पर्याप्त दुर्लभ पृथ्वी भंडार हैं, लेकिन प्रोसेसिंग क्षमता सीमित है। यह साझेदारी उस कमी को दूर कर सकती है। एक स्थिर और वैकल्पिक रेयर अर्थ सप्लाई चेन भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स और उच्च-तकनीकी मैन्युफैक्चरिंग का विश्वसनीय केंद्र बनने में मदद करेगी।
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