मुंबई: क्राइम ब्रांच यूनिट-2 ने कांदिवली स्थित डीजी सर्च कंसल्टिंग और प्रीरीत लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड नामक बोगस कंपनियों के ऑफिस पर छापा मारकर साइबर ठगी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। यहां गरीब लोगों से 7–8 हजार रुपये में बैंक खाते खुलवा कर उनके एटीएम कार्ड, पासबुक और डेबिट कार्ड हथिया लिए जाते थे। बाद में इन्हें साइबर ठगों को सौंप दिया जाता था।
ठग फोन कर लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाते और उनका डेबिट कार्ड व पिन विदेश बैठे गिरोह तक पहुंचाते थे। खाताधारकों को 7-8 हजार रकम थमा दी जाती थी। पुलिस को छापेमारी में सेविंग व करंट अकाउंट की कई चेकबुक, पासबुक और ईमेल अकाउंट मिले, जिनका इस्तेमाल साइबर फ्रॉड में होता था।
डीसीपी राजतिलक रौशन के अनुसार, कार्रवाई में एक महिला समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके ऑफिस से 2 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 25 मोबाइल फोन, 25 पासबुक, 30 चेकबुक, 46 एटीएम स्वाइप मशीन और 104 सिम कार्ड बरामद किए गए।
सीनियर पीआई दिलीप तेजनकर ने जांच में पाया कि लैपटॉप की जांच में 943 बैंक खातों का डेटा मिला, जिनमें से 181 खाते साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। ऑनलाइन शॉपिंग, शेयर ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी से आए पैसे इन्ही खातों में जमा किए जाते थे।
देशभर से साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर इस रैकेट से जुड़ी 339 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 16 मुंबई की थीं। मुंबई में अब तक 14 केस दर्ज किए गए। महाराष्ट्र के 46 मामलों में 12 एफआईआर हुईं, जबकि बाकी राज्यों में दर्ज 277 शिकायतों में से 33 मामले सुलझाए जा चुके हैं।पुलिस जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने अब तक मुंबई से 1.67 करोड़, महाराष्ट्र से 10.57 करोड़ और पूरे देशभर से कुल 60.82 करोड़ रुपये की चपत लगाई है।
मुंबई पुलिस भारत के ठगों को आसानी से पकड़ लेती है लेकिन इस ठगी के मास्टरमाइंड दुबई ,चाइना और कंबोडिया में बैठे होते है जिन तक पहुंचने में बहुत सारी दिक्क़ते सामने आती है ,विदेश में बैठे ठग भारत के लोगों को एजेंट बनाकर अपने देश से रोजाना हजारों करोड़ रुपया उड़ा ले जा रहे हैं।
ठग फोन कर लोगों के नाम पर बैंक खाते खुलवाते और उनका डेबिट कार्ड व पिन विदेश बैठे गिरोह तक पहुंचाते थे। खाताधारकों को 7-8 हजार रकम थमा दी जाती थी। पुलिस को छापेमारी में सेविंग व करंट अकाउंट की कई चेकबुक, पासबुक और ईमेल अकाउंट मिले, जिनका इस्तेमाल साइबर फ्रॉड में होता था।
डीसीपी राजतिलक रौशन के अनुसार, कार्रवाई में एक महिला समेत 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके ऑफिस से 2 लैपटॉप, 1 प्रिंटर, 25 मोबाइल फोन, 25 पासबुक, 30 चेकबुक, 46 एटीएम स्वाइप मशीन और 104 सिम कार्ड बरामद किए गए।
सीनियर पीआई दिलीप तेजनकर ने जांच में पाया कि लैपटॉप की जांच में 943 बैंक खातों का डेटा मिला, जिनमें से 181 खाते साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। ऑनलाइन शॉपिंग, शेयर ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी से आए पैसे इन्ही खातों में जमा किए जाते थे।
देशभर से साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर इस रैकेट से जुड़ी 339 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 16 मुंबई की थीं। मुंबई में अब तक 14 केस दर्ज किए गए। महाराष्ट्र के 46 मामलों में 12 एफआईआर हुईं, जबकि बाकी राज्यों में दर्ज 277 शिकायतों में से 33 मामले सुलझाए जा चुके हैं।पुलिस जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने अब तक मुंबई से 1.67 करोड़, महाराष्ट्र से 10.57 करोड़ और पूरे देशभर से कुल 60.82 करोड़ रुपये की चपत लगाई है।
मुंबई पुलिस भारत के ठगों को आसानी से पकड़ लेती है लेकिन इस ठगी के मास्टरमाइंड दुबई ,चाइना और कंबोडिया में बैठे होते है जिन तक पहुंचने में बहुत सारी दिक्क़ते सामने आती है ,विदेश में बैठे ठग भारत के लोगों को एजेंट बनाकर अपने देश से रोजाना हजारों करोड़ रुपया उड़ा ले जा रहे हैं।
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