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जॉब पोर्टल पर शिकार खोजते हैं चाइनीज साइबर माफिया, 19 से 22 साल वालों पर खास नजर, लखनऊ में खुला केस

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ऋषि सेंगर, लखनऊ: डीएलएफ माय पैड की बिल्डिंग में चल रहे साइबर जालसाजों के गिरोह के मामले में पुलिस की छानबीन में सामने आया है कि चाइनीज साइबर माफिया ऑनलाइन पार्ट टाइम जॉब तलाश करने वाले युवाओं पर नजर रखते थे। उनकी स्क्रीनिंग करके उन्हें कम समय में अधिक कमाई का झांसा देकर गिरोह में शामिल करते थे।



साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन के प्रभारी बृजेश कुमार यादव के मुताबिक चाइनीज साइबर जालसाज 19 से 22 साल की उम्र में ग्रेजुएशन करके अपना खर्च चलाने के लिए पार्ट टाइम नौकरी खोजने वाले युवाओं को चुनते हैं। इसके लिए चाइनीज सरगना ने गूगल और नौकरी वाली वेबसाइट पर अपना जाल बिछा रखा है। इन वेबसाइट में एक्टिव उनके गिरोह के लोग युवाओं को नौकरी के लिए बुलाते हैं। इसके बाद मोटे प्रॉफिट का लालच देकर अपने साथ जोड़ लेते हैं। पुलिस विदेश में बैठे जालसाजों का नेटवर्क खंगाल रही है। इंस्पेक्टर के मुताबिक पांच राज्यों महाराष्ट्र, केरल, हरियाणा, तमिलनाडु और असम से इस गिरोह के सदस्यों की काफी शिकायतें मिलीं हैं।



गिरफ्तार आरोपियों की उम्र है कम

इंस्पेक्टर ने बताया कि पकड़े गए अधिकतर आरोपियों की उम्र भी 19 से 22 के बीच ही है। पकड़े गए आरोपियों में त्रिवेणीनगर प्रथम मदेयगंज निवासी राहुल सोनकर (22), डालीगंज निवासी मो.सलमान (28), सआदतगंज निवासी देवांश शुक्ला (19), मदेयगंज निवासी राज रावत (21), ठाकुरगंज निवासी फैजान (21), सआदतगंज निवासी मोजिज (21), मड़ियांव निवासी अंकित यादव (22) और मदेयगंज निवासी करन रावत (19) हैं।



आरोपियों ने टेलिग्राम ऐप के जरिए चाइनीज साइबर ठगों से जुड़कर देशभर में डिजिटल अरेस्ट, टास्क फ्रॉड, वर्क फ्रॉम होम व ऑनलाइन क्रिप्टो ट्रेडिंग के नाम पर करोड़ों रुपये की यूएसडीटी में कन्वर्ट कर ठगी की। गिरोह में लखनऊ के कई अन्य युवा भी शामिल हैं। पुलिस न लोगों को ट्रेस कर रही है।



डीएलएफ माय पैड में बदलते रहते थे फ्लैट

पकड़े अरोपियों ने बताया कि डीएलएफ माय पैड में फ्लैट लगातार बदलते रहते थे, जिससे कि पुलिस उनकी लोकेशन ट्रेस करके छापेमारी करे तो उन्हें भागने का मौका मिल सके। पकड़े गए आरोपी ने बताया कि गर्लफ्रेंड के साथ घूमने व शाहखर्ची में साइबर फ्रॉड से मिले रुपये उड़ा देते थे। आरोपियों ने बताया कि वह लखनऊ व आस-पास के अन्य जिलों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रुपये कमाने का लालच देकर उनके बैंक अकाउंट खुलवाते थे।

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