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Sawan Somwar Upay : सावन के चार सोमवार और चार मुट्ठियां, शिव को प्रिय यह पूजाविधि क्यों है चमत्कारी

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श्रावण मास को भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है और सोमवार को उनका अत्यंत प्रिय वार। जब यह दोनों संयोग स्वरूप एक साथ आते हैं, सावन और सोमवार, तो यह समय शिवभक्ति के लिए अत्यंत शुभ और फलदायी हो जाता है। इस विशेष अवसर पर भगवान शिव का पूजन, व्रत और ध्यान करने से न केवल मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि जीवन में आने वाले अनेक विघ्न और कष्ट स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।



सावन के सोमवार का ज्योतिषीय महत्व -
शिवजी को सोम अर्थात चंद्रमा प्रिय हैं और चंद्रमा का सीधा संबंध मन, शांति, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन से होता है, अतः श्रावण मास में सोमवार व्रत करने से न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि चंद्र ग्रह की अनुकूलता भी प्राप्त होती है। इससे मन प्रसन्न रहता है, विचारों में शुद्धता आती है और निर्णय लेने की क्षमता तीव्र होती है।



क्या है शिवामूठ -
धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो गृहस्थ जीवन में रहने वाले व्यक्तियों के लिए कठिन तप या जटिल अनुष्ठानों की अपेक्षा सरल लेकिन प्रभावशाली पूजन विधियां अधिक उपयुक्त और प्रभावकारी होती हैं। ऐसी ही एक अत्यंत प्रभावशाली और सरल विधि है, शिवामूठ। शिवामूठ एक विशेष पूजन प्रक्रिया है, जिसे सावन के चार सोमवारों तक लगातार किया जाता है। इस प्रयोग के अंतर्गत प्रत्येक सोमवार को एक विशेष वस्तु की एक मुट्ठी मात्रा शिवलिंग पर अर्पण की जाती है। यह सरल दिखने वाला प्रयोग अत्यंत चमत्कारी और फलदायी माना जाता है।



शिवामूठ की प्रक्रिया -


  • पहले सोमवार, एक मुट्ठी ’कच्चे साबुत चावल’ शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • दूसरे सोमवार, एक मुट्ठी ’सफेद तिल’ अर्पित करें।
  • तीसरे सोमवार, एक मुट्ठी ’खड़ी मूंग’ चढ़ाएं।
  • चौथे सोमवार, एक मुट्ठी ’जौ’ शिवलिंग पर समर्पित करें।
श्रद्धा, नियम और पूर्ण विश्वास के साथ पूजन करने पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह उपाय विशेष रूप से रुके हुए कार्यों की सिद्धि, आर्थिक समृद्धि, पारिवारिक सुख, वैवाहिक समस्याओं से मुक्ति और शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है।

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