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अब इंसान का दिमाग पढ़ने की तैयारी में OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन, एलन मस्क की न्यूरालिंक को सीधी टक्कर

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OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन अब इंसान के दिमाग को पढ़ने की कोशिश में लग गए हैं। आर्टिफिशियल इंटीलेजेंस ( AI ) के बाद अब वे एक नए स्टार्टअप की तरफ बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, Sam मर्ज लैब्स (Merge Labs) नाम के स्टार्टअप के साथ काम कर रहे हैं। यह कंपनी बिना सर्जरी के एक ऐसा ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) बनाने पर काम कर रही है, जो ध्वनि तरंगों और चुंबकीय क्षेत्रों का इस्तेमाल करके इंसान के विचारों को समझने में सक्षम होगा। इससे ऑल्टमैन, एलन मस्क की न्यूरालिंक (Neuralink) को सीधा टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इन दोनों कंपनियों के काम करने के तरीके बिल्कुल अलग होंगे। आइये, पूरी डिटेल जानते हैं।

क्या है Merge Labs?आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मर्ज लैब्स अल्ट्रासाउंड और जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल करेगा। इंसान के दिमाग को मशीनों से जोड़ने का यह एक बहुत ही आसान तरीका है। द वर्ज की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑल्टमैन, मर्ज लैब्स के लिए एक शानदार संस्थापक टीम बना रहे हैं। इसमें कैल्टेक के प्रसिद्ध बायोमॉलिक्यूलर इंजीनियर Mikhail Shapiro भी शामिल हैं। बता दें कि इन्हें न्यूरल इमेजिंग और ध्वनि तरंगों से दिमाग को जोड़ने के क्षेत्र में अपनी योग्यता के लिए जाने जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि टूल्स फॉर ह्यूमैनिटी के सीईओ एलेक्स ब्लानिया भी इसमें अहम भूमिका निभाएंगे।

बता दें कि कैल्टेक में शापिरो ने ध्वनि तरंगों का उपयोग करके न्यूरॉन्स के साथ बातचीत की थी। यह तरीका वैज्ञानिकों को बिना सर्जरी के दिमाग की गतिविधि के बारे में जानने और उसे प्रभावित करने की सुविधा देती है। उन्होंने जीन थेरेपी तकनीकों पर भी बहुत काम किया है।



न्यूरोलिंक से है अलग यह इससे साफ समझ आता है कि कंपनी का उद्देश्य दिमाग को खोले बिना ही ध्वनि तरंगों और चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करके एक दिमाग-कंप्यूटर इंटरफेस बनाना है। हालांकि, यह न्यूरालिंक के अलग है। उसके लिए सर्जरी की जरूरत होती है। मर्ज लैब्स का लक्ष्य बिना किसी सर्जरी के दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधा संबंध बनाना है।

एलन मस्क की न्यूरालिंक कंपनी दिमाग में चिप लगाने का काम करती है, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है। सैम ऑल्टमैन को इस तरह की सर्जरी पसंद नहीं है। उन्होंने खुद कहा है कि वे अपने दिमाग में कुछ भी नहीं लगवाएंगे, लेकिन वे इंसानी विचारों को कंप्यूटर से जोड़ने के विचार में बहुत रुचि रखते हैं। वे चाहते हैं कि वे कुछ सोचें और एआई उस पर प्रतिक्रिया दे।

मर्ज लैब्स का लक्ष्य यही है। वे चाहते हैं कि एआई इंसानी विचारों को समझ सके, लेकिन उन्हें बदल न सके। बता दें कि इसे "रीड-ओनली" तकनीक कहते हैं। यह नई कंपनी किस तरह और किन-किन लोगों के साथ मिलकर काम करेगी, अभी बारे में सटीक जानकारी नहीं है।
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