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रिटायरमेंट के बाद भी सरकारी बंगला अभी तक क्यों खाली नहीं किया? पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बताई वजह

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नई दिल्लीः सरकारी बंगले को खाली करने के सवाल पर पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि पहले से ऐसा नजीर रहा है कि पूर्व चीफ जस्टिस और पूर्व जस्टिस को सरकारी बंगले कुछ महीने और साल के लिए आवंटित होते रहे हैं। उन्होंने यह बात बंगले को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पत्र लिखने पर कही है।पांच कृष्णा मेनन मार्ग बंगला से वह सरकारी अलॉट बंगले में शिफ्ट होने वाले हैं। जो बंगला सरकार द्वारा अलॉट किया गया है उसमें रिनोवेशन का काम पीडब्ल्यूडी द्वारा किया जा रहा है और बताया गया है कि दो से तीन हफ्ते लगेगा। उनकी दोनों बेटियां स्पेशल केयर चाइल्ड हैं इसलिए उनकी सहूलियत के हिसाब से घर की जरूरत है और ऐसे घर मिलने में दिक्कत हुई है।



सरकारी बंगला 5 कृष्णा मेनन मार्ग कब आएपूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने एनबीटी को बताया कि 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर जब शपथ ली तो शुरुआत में वह दिसंबर 2016 तक यूपी सदन में रहे थे। दिसंबर 2016 के बाद वह 14 तुगलक रोड में ट्रांजिट अकॉमडेशन में रहे। यह घर छोटा होता है और ट्रांजिट के समय दिया जाता है। हालांकि वह अपनी पत्नी और दोनों बेटियों के साथ इसी घर में लगातार नवंबर 2023 तक रहे। वैसे वह नवंबर 2022 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बन चुके थे, लेकिन फिर वह उसी छोटे घर में रहे और उन्हें कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन उस घर में कई बार उनसे मिलने इंटरनेशनल कोर्ट के जस्टिस और एंबेस्डर आदि आते हैं तो उन्हें घर छोटा लगने लगा और फिर वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के लिए तय सरकारी बंगले 5 कृष्णा मेनन मार्ग में आए।



बच्चे स्पेशल चाइल्ड हैं, सहूलियत के हिसाब से नहीं मिला घरउन्होंने बताया कि दो साल के कार्यकाल के दौरान आखिरी के एक साल यहां रहे। रिटायरमेंट से दो हफ्ते पहले उन्होंने तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना से कहा कि उन्हें रिटायरमेंट के बाद 14 तुगलक रोड घर में भी शिफ्ट कर दिया जाए। वह चीफ जस्टिस का बंगला खाली करना चाहते हैं। लेकिन तत्कालीन चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा कि वह अपने ही बंगले में रहना चाहते हैं और आप (जस्टिस चंद्रचूड़) वहीं रहें। पहले 30 अप्रैल तक का वक्त दिया गया था। लेकिन इसी बीच 28 अप्रैल को उन्होंने चीफ जस्टिस को लेटर लिखा और कहा कि उनके बच्चे स्पेशल चाइल्ड हैं और उनकी सहूलियत के हिसाब से किराये का घर मिलने में परेशानी है, ऐसे में कुछ वक्त दिया जाए।



नए बंगले में रिनोवेशन का कब चल रहाइसी बीच, भारत सरकार ने तीन मूर्ति मार्ग इलाके में पूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए सरकारी घर अलॉट किया गया है। लेकिन पुराना घर था तो उसके रिनोवेशन का काम पीडब्ल्यूडी को करना था और वह चल रहा है। पूर्व सीजेआई ने कहा, 'हम घर के रिनोवेशन का काम खुद नहीं करा सकते। वह काम सरकार का डिपार्टमेंट कराता है। मैंने इस दौरान मौखिक तौर पर चीफ जस्टिस बीआर गवई से भी आग्रह किया कि 30 जून तक का वक्त दिया जाए। इस दौरान सरकारी बंगला तैयार होने की उम्मीद है।'



पूर्व सीजेआई ने बताया कि इसी बीच दो हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार उनसे मिलने आए और कहा कि घर कब तक खाली हो सकता है तो हमने बताया कि पीडब्ल्यूडी के मुताबिक सरकारी घर दो -तीन हफ्ते में तैयार हो जाएगा। उसके बाद रजिस्ट्रार चले गए। लेकिन इसी बीच यह लेटर केंद्र सरकार को लिखा गया।



पहले की स्थिति के बारे में बतायापूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि पहले भी ऐसी नजीर रही है कि रिटायर चीफ जस्टिस और जस्टिस को सरकारी बंगले में उनकी परिस्थितियों के हिसाब से रहने दिया गया है। पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित अकबर रोड स्थित बंगले में छह महीने तक बाद में रहे थे। वहीं चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए जस्टिस एनवी रमना को भी तुगलक रोड स्थित बंगले में दो साल तक रहने के लिए वक्त दिया गया था। अन्य कई उदाहरण भी हैं।



जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी बेटी तीन साल पहले शिमला जाने के दौरान काफी बीमार हो गई थी। वैसे भी दोनों बच्चियां स्पेशल केयर चाइल्ड हैं। बच्ची की फिजियोथेरापी होती है और एक घर को आईसीयू की तरह बनाया गया है। बच्ची का लगातार एम्स में इलाज चल रहा है। इसलिए इस इलाके में उनका रहना जरूरी है। उन्हें जो सरकारी बंगला अलॉट हुआ है उसे रिनोवेशन में दो-तीन हफ्ते लगने हैं और सरकार की ओर से जैसे उन्हें बंगला मिलेगा वह उसमें शिफ्ट होने वाले हैं।
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