नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक और काम में जो सबसे ज्यादा तेजी आई है, वह है अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की वापसी। असम इस कार्रवाई में शुरू से सबसे आक्रमक दिख रहा है। हालांकि संख्या के मामले में गुजरात ने बाजी मारी है। ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को लॉन्च किया गया था। असम में इस काम में तेजी लाने के पीछे की वजह ये है कि विदेशियों के न्यायाधिकरण (Foreigners' Tribunals) ने इन्हें अवैध घोषित किया है। यह अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जा रहा है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय का सहयोग है। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद इस तरह की कार्रवाई की तत्काल जरूरत महसूस की गई। गुजरात ने अवैध बांग्लादेशियों को वापस भेजने के लिए शुरू में ही एक बड़ा अभियान चलाया। वैसे इस कार्रवाई में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्य भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत ही जरूरी है। हालांकि, कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं।
अवैध बांग्लादेशियों की वापसी में गुजरात आगे
जानकारी के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के बाद अनुमानित तौर पर 2,000 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों को बांग्लादेश वापस भेजा जा चुका है। इनमें आधे से अधिक गुजरात से भेजे गए हैं। उसके बाद असम, दिल्ली और हरियाणा इस काम में बहुत ही अधिक सक्रिय हैं। दिल्ली पुलिस के अनुसार 900 और लोगों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें वापस भेजा जाना है। वहीं 27 और 29 मई को पश्चिमी और दक्षिणी असम से 49 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा गया। उन्हें भारत-बांग्लादेश सीमा पर ले जाया गया और 'नो-मैन्स लैंड' में छोड़ दिया गया। हालांकि, असम सरकार के सक्रियता को अदालती कार्रवाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है। कई लोग सरकारी कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच रहे हैं।
अवैध बांग्लादेशियों में खुद भी मची है जाने की होड़
महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गोवा जैसे राज्यों ने भी अपनी कार्रवाई तेज की हुई है। अवैध बांग्लादेशियों को भारतीय वायुसेना के विमानों से सीमा क्षेत्रों तक ले जाया जा रहा है और वहां पर पहुंने के बाद, उन्हें सीमा सुरक्षा बल(BSF) को सौंप दिया जाता है। वह उन्हें कुछ समय के लिए में रखती है। वहां पर उनके खाने-पीने का इंतजाम है। फिर अगर जरूरत हुई तो उन्हें कुछ बांग्लादेशी मुद्रा देकर उन्हें सीमा पार धकेल (Push back) दिया जाता है। अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ जिस तरह से देशव्यापी अभियान चला हुआ है, सूत्रों के अनुसार करीब 2,000 अवैध बांग्लादेशी खुद अपने मुल्क वापस जाने के लिए सीमाओं के आसपास पहुंच रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार इनमें से ज्यादातर लोग वे हैं, जिन्हें डिटेंशन का डर है या फिर मीडिया कवरेज से बचना चाह रहे हैं। मसलन, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, 'इनमें से ज्यादातर गरीब मजदूर हैं, जिनके पास कानूनी बचाव के लिए पैसे नहीं हैं। पकड़े जाने के बाद, वे बांग्लादेश में अपने परिवारों को बुलाते हैं जो उन्हें लेने आते हैं। वे डिटेंशन सेंटर या जेलों में रहने से इसे बेहतर विकल्प मानते हैं।'
बांग्लादेशियों की नागरिकता वेरिफाई करने को भी कहा
सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कार्रवाई जरूरी है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों को
बिना जरूरी दस्तावेज के भारत में रह रहे बांग्लादेशियों और म्यांमारी नागरिकों को वापस भेजने जाने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय ने 22 मई को कहा कि भारत ने बांग्लादेश से 2,369 लोगों की नागरिकता वेरिफाई करने का अनुरोध किया है। इनमें से कुछ लोग पांच साल से अधिक समय से डिपोर्टेशन का इंतजार कर रहे हैं।
पहले से चल रहा है अवैध बांग्लादेशियों की वापसी का काम
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गोवा में कई कथित 'अवैध' बांग्लादेशी आप्रवासियों को हिरासत में लिया गया था। दिल्ली पुलिस ने जनवरी से सबसे ज्यादा 120 अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा था। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने 110, हरियाणा ने 80, राजस्थान ने 70, उत्तर प्रदेश ने 65, गुजरात ने 65 और गोवा ने 10 लोगों को सौंपा था। इसी तरह, दक्षिण बंगाल सीमा, उत्तर बंगाल सीमा और असम-बांग्लादेश सीमा पर भी कई जगहों से लोगों को वापस भेजा गया था। BSF ने पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर एक सेक्टर से 1,200 से ज्यादा बांग्लादेशियों को वापस भेजा था।
बांग्लादेश कह चुका है नागरिकता वेरिफाई करने की बात
कुल मिलाकर अभी तक एक अच्छी बात यह दिख रही है कि इस ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू किए गए विशेष अभियान को बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) का सहयोग मिल रहा है। हालांकि, अधिकारियों को लग रहा है कि अगर साप्ताहिक डिपोर्टेशन का आंकड़ा 10,000-20,000 तक पहुंच जाता है, तो बांग्लादेश के साथ दिक्कतें बढ़ सकती हैं। बांग्लादेश को भी इसकी भनक है, इसलिए वह पहले से ही कहना शुरू कर चुका है कि वह वापस भेजे जाने वालों को केवल उनकी नागरिकता वेरिफाई करने के बाद ही स्वीकार करेगा। लेकिन, पहलगाम के बाद जिस तरह से देश की सुरक्षा सबसे गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है, उसके बाद अवैध घुसपैठियों की वजह से देश के जनसांख्यिकीय बदलाव भी बहुत बड़ी चिंता बनकर उभरी है और इसी को देखते हुए, इस तरह का कदम उठाना जरूरी हो गया है।
अवैध बांग्लादेशियों की वापसी में गुजरात आगे
जानकारी के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के बाद अनुमानित तौर पर 2,000 से ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों को बांग्लादेश वापस भेजा जा चुका है। इनमें आधे से अधिक गुजरात से भेजे गए हैं। उसके बाद असम, दिल्ली और हरियाणा इस काम में बहुत ही अधिक सक्रिय हैं। दिल्ली पुलिस के अनुसार 900 और लोगों की पहचान की जा चुकी है, जिन्हें वापस भेजा जाना है। वहीं 27 और 29 मई को पश्चिमी और दक्षिणी असम से 49 बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजा गया। उन्हें भारत-बांग्लादेश सीमा पर ले जाया गया और 'नो-मैन्स लैंड' में छोड़ दिया गया। हालांकि, असम सरकार के सक्रियता को अदालती कार्रवाइयों का भी सामना करना पड़ रहा है। कई लोग सरकारी कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच रहे हैं।
अवैध बांग्लादेशियों में खुद भी मची है जाने की होड़
महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गोवा जैसे राज्यों ने भी अपनी कार्रवाई तेज की हुई है। अवैध बांग्लादेशियों को भारतीय वायुसेना के विमानों से सीमा क्षेत्रों तक ले जाया जा रहा है और वहां पर पहुंने के बाद, उन्हें सीमा सुरक्षा बल(BSF) को सौंप दिया जाता है। वह उन्हें कुछ समय के लिए में रखती है। वहां पर उनके खाने-पीने का इंतजाम है। फिर अगर जरूरत हुई तो उन्हें कुछ बांग्लादेशी मुद्रा देकर उन्हें सीमा पार धकेल (Push back) दिया जाता है। अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ जिस तरह से देशव्यापी अभियान चला हुआ है, सूत्रों के अनुसार करीब 2,000 अवैध बांग्लादेशी खुद अपने मुल्क वापस जाने के लिए सीमाओं के आसपास पहुंच रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार इनमें से ज्यादातर लोग वे हैं, जिन्हें डिटेंशन का डर है या फिर मीडिया कवरेज से बचना चाह रहे हैं। मसलन, एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने कहा, 'इनमें से ज्यादातर गरीब मजदूर हैं, जिनके पास कानूनी बचाव के लिए पैसे नहीं हैं। पकड़े जाने के बाद, वे बांग्लादेश में अपने परिवारों को बुलाते हैं जो उन्हें लेने आते हैं। वे डिटेंशन सेंटर या जेलों में रहने से इसे बेहतर विकल्प मानते हैं।'
बांग्लादेशियों की नागरिकता वेरिफाई करने को भी कहा
सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कार्रवाई जरूरी है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद गृह मंत्रालय ने राज्यों को
बिना जरूरी दस्तावेज के भारत में रह रहे बांग्लादेशियों और म्यांमारी नागरिकों को वापस भेजने जाने का निर्देश दिया था। गृह मंत्रालय ने 22 मई को कहा कि भारत ने बांग्लादेश से 2,369 लोगों की नागरिकता वेरिफाई करने का अनुरोध किया है। इनमें से कुछ लोग पांच साल से अधिक समय से डिपोर्टेशन का इंतजार कर रहे हैं।
पहले से चल रहा है अवैध बांग्लादेशियों की वापसी का काम
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों जैसे दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और गोवा में कई कथित 'अवैध' बांग्लादेशी आप्रवासियों को हिरासत में लिया गया था। दिल्ली पुलिस ने जनवरी से सबसे ज्यादा 120 अवैध बांग्लादेशियों को पकड़ा था। इसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने 110, हरियाणा ने 80, राजस्थान ने 70, उत्तर प्रदेश ने 65, गुजरात ने 65 और गोवा ने 10 लोगों को सौंपा था। इसी तरह, दक्षिण बंगाल सीमा, उत्तर बंगाल सीमा और असम-बांग्लादेश सीमा पर भी कई जगहों से लोगों को वापस भेजा गया था। BSF ने पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश सीमा पर एक सेक्टर से 1,200 से ज्यादा बांग्लादेशियों को वापस भेजा था।
बांग्लादेश कह चुका है नागरिकता वेरिफाई करने की बात
कुल मिलाकर अभी तक एक अच्छी बात यह दिख रही है कि इस ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू किए गए विशेष अभियान को बॉर्डर गार्ड्स बांग्लादेश (BGB) का सहयोग मिल रहा है। हालांकि, अधिकारियों को लग रहा है कि अगर साप्ताहिक डिपोर्टेशन का आंकड़ा 10,000-20,000 तक पहुंच जाता है, तो बांग्लादेश के साथ दिक्कतें बढ़ सकती हैं। बांग्लादेश को भी इसकी भनक है, इसलिए वह पहले से ही कहना शुरू कर चुका है कि वह वापस भेजे जाने वालों को केवल उनकी नागरिकता वेरिफाई करने के बाद ही स्वीकार करेगा। लेकिन, पहलगाम के बाद जिस तरह से देश की सुरक्षा सबसे गंभीर मुद्दा बनकर उभरा है, उसके बाद अवैध घुसपैठियों की वजह से देश के जनसांख्यिकीय बदलाव भी बहुत बड़ी चिंता बनकर उभरी है और इसी को देखते हुए, इस तरह का कदम उठाना जरूरी हो गया है।
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