नई दिल्ली: पाकिस्तान सरकार PIA (पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस) को 2025 के अंत तक बेचने की पूरी कोशिश कर रही है। पिछली बार जब इसे बेचने की कोशिश की गई थी तो बात नहीं बनी थी। कारण है कि एयरलाइन भारी घाटे में चल रही है। अब सरकार फिर से इसे बेचने की तैयारी कर रही है। 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' अखबार के अनुसार, प्राइवेटाइजेशन कमीशन बोर्ड ने मंगलवार को चार कंपनियों को बोली लगाने के लिए चुना है। हद तो यह है कि इनमें से तीन कंपनियां सीमेंट बनाने के कारोबार से जुड़ी हैं। पिछली बार सरकार ने PIA की कीमत 85.03 अरब पाकिस्तानी रुपये रखी थी। इसमें 45 अरब रुपये का घाटा भी शामिल था। लेकिन, सिर्फ 10 अरब रुपये की बोली आई थी।
आमतौर पर एयरलाइंस को एविएशन या टूरिज्म उद्योग से जुड़े बड़े समूह या फिर अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस खरीदने में दिलचस्पी दिखाती हैं। लेकिन, जब सीमेंट उद्योग से जुड़ी कंपनियां एयरलाइन खरीदने के लिए आगे आती हैं तो यह कई बातें कह जाता है।
सीमेंट कंपनियों का बोली लगाना क्या दिखाता है?
बोली के लिए सीमेंट कंपनियों का सामने आना संकेत देता है कि PIA की स्थिति कितनी खराब हो चुकी है। नौबत यह है कि इसे पारंपरिक एयरलाइन उद्योग के खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं या वे इसे बहुत कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं। सीमेंट कंपनियां शायद अपनी आय को डायवर्सिफाई करना चाहती हैं या उन्हें लगता है कि वे बेहद कम कीमत पर एक राष्ट्रीय संपत्ति खरीदकर उसे पुनर्जीवित कर सकती हैं।
यह पाकिस्तान के भीतर औद्योगिक परिदृश्य को भी दर्शाता है, जहां शायद सीमेंट उद्योग के पास पर्याप्त पूंजी है और वे नए क्षेत्रों में निवेश करने को तैयार हैं, भले ही वह क्षेत्र उनके मुख्य व्यवसाय से पूरी तरह से अलग हो। इससे पाकिस्तान सरकार की वह बेबसी भी उजागर होती है जहां उसे किसी भी कीमत पर एयरलाइन से छुटकारा पाना है, भले ही खरीदार एविएशन बैकग्राउंड से हों या न हों। लोग इसे केवल वित्तीय विफलता के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर एक धब्बे के रूप में देख रहे हैं।
PIA को बेचने के लिए क्या किया है इंतजाम?
आइए, अब विस्तार से जानते हैं कि आखिर हुआ क्या है। प्राइवेटाइजेशन पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मुहम्मद अली की अध्यक्षता में बोर्ड ने PIA को बेचने के लिए चार कंपनियों को चुना है। पांच कंपनियों ने PIA को खरीदने के लिए आवेदन किया था। इनमें से एक कंपनी बोली लगाने के लिए योग्य नहीं पाई गई। तीन सीमेंट उद्योग से जुड़ी हैं। अब चार कंपनियां PIA के बारे में और जानकारी लेंगी। मुहम्मद अली ने कहा कि PIA को बेचने की प्रक्रिया इस साल के आखिरी तीन महीनों में पूरी होने की उम्मीद है। सरकार PIA में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी और उसका मैनेजमेंट भी बेचना चाहती है। सरकार ने एयरलाइन पर कर्ज भी कम कर दिया है। इससे इसकी कीमत बढ़ सकती है। इसके अलावा, यूरोपियन यूनियन ने PIA पर जो उड़ान भरने पर रोक लगाई थी, उसे भी हटा दिया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि PIA कई सालों से आर्थिक रूप से परेशान है। 2023 में स्थिति तब खराब हो गई जब 7,000 कर्मचारियों को नवंबर की सैलरी नहीं मिली। यूरोपियन यूनियन ने 2020 में सुरक्षा कारणों से PIA पर रोक लगा दी थी।
आमतौर पर एयरलाइंस को एविएशन या टूरिज्म उद्योग से जुड़े बड़े समूह या फिर अन्य अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस खरीदने में दिलचस्पी दिखाती हैं। लेकिन, जब सीमेंट उद्योग से जुड़ी कंपनियां एयरलाइन खरीदने के लिए आगे आती हैं तो यह कई बातें कह जाता है।
सीमेंट कंपनियों का बोली लगाना क्या दिखाता है?
बोली के लिए सीमेंट कंपनियों का सामने आना संकेत देता है कि PIA की स्थिति कितनी खराब हो चुकी है। नौबत यह है कि इसे पारंपरिक एयरलाइन उद्योग के खरीदार तक नहीं मिल रहे हैं या वे इसे बहुत कम कीमत पर खरीदना चाहते हैं। सीमेंट कंपनियां शायद अपनी आय को डायवर्सिफाई करना चाहती हैं या उन्हें लगता है कि वे बेहद कम कीमत पर एक राष्ट्रीय संपत्ति खरीदकर उसे पुनर्जीवित कर सकती हैं।
यह पाकिस्तान के भीतर औद्योगिक परिदृश्य को भी दर्शाता है, जहां शायद सीमेंट उद्योग के पास पर्याप्त पूंजी है और वे नए क्षेत्रों में निवेश करने को तैयार हैं, भले ही वह क्षेत्र उनके मुख्य व्यवसाय से पूरी तरह से अलग हो। इससे पाकिस्तान सरकार की वह बेबसी भी उजागर होती है जहां उसे किसी भी कीमत पर एयरलाइन से छुटकारा पाना है, भले ही खरीदार एविएशन बैकग्राउंड से हों या न हों। लोग इसे केवल वित्तीय विफलता के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर एक धब्बे के रूप में देख रहे हैं।
PIA को बेचने के लिए क्या किया है इंतजाम?
आइए, अब विस्तार से जानते हैं कि आखिर हुआ क्या है। प्राइवेटाइजेशन पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मुहम्मद अली की अध्यक्षता में बोर्ड ने PIA को बेचने के लिए चार कंपनियों को चुना है। पांच कंपनियों ने PIA को खरीदने के लिए आवेदन किया था। इनमें से एक कंपनी बोली लगाने के लिए योग्य नहीं पाई गई। तीन सीमेंट उद्योग से जुड़ी हैं। अब चार कंपनियां PIA के बारे में और जानकारी लेंगी। मुहम्मद अली ने कहा कि PIA को बेचने की प्रक्रिया इस साल के आखिरी तीन महीनों में पूरी होने की उम्मीद है। सरकार PIA में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी और उसका मैनेजमेंट भी बेचना चाहती है। सरकार ने एयरलाइन पर कर्ज भी कम कर दिया है। इससे इसकी कीमत बढ़ सकती है। इसके अलावा, यूरोपियन यूनियन ने PIA पर जो उड़ान भरने पर रोक लगाई थी, उसे भी हटा दिया है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि PIA कई सालों से आर्थिक रूप से परेशान है। 2023 में स्थिति तब खराब हो गई जब 7,000 कर्मचारियों को नवंबर की सैलरी नहीं मिली। यूरोपियन यूनियन ने 2020 में सुरक्षा कारणों से PIA पर रोक लगा दी थी।
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