जयपुर: राजस्थान में छात्र संघ चुनाव को लेकर बड़ा अपडेट मिला है। हाईकोर्ट ने छात्रसंघ चुनाव नहीं होने पर सरकार से जवाब मांगा है। इसे लेकर जस्टिस अनूप ढंढ की अदालत ने सरकार और राजस्थान यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस छात्र जय राव की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सरकार पिछले तीन सत्रों से छात्र संघ चुनाव नहीं करवा रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि छात्र प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है, जिसका सरकार उल्लंघन कर रही है।
लिंगदोह कमेटी का हवाला देकर रखी मांग
दरअसल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि छात्र संघ चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं। कोर्ट ने सरकार और राजस्थान यूनिवर्सिटी दोनों को नोटिस भेजा है। छात्र जय राव ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार पिछले तीन सालों से छात्र संघ चुनाव नहीं करवा रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6-8 हफ़्तों के अंदर चुनाव हो जाने चाहिए। लेकिन सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि छात्र संघ चुनाव के माध्यम से अपने प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है। सरकार इस अधिकार का हनन कर रही है।
वकील शांतनु पारीक ने अदालत में बहस करते हुए कहा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट की लॉर्जर बेंच के फैसले और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को नहीं मान रही है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से चुनाव नहीं कराने का कारण पूछा। याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि सरकार पिछले दो सालों से बिना किसी कारण के चुनाव नहीं करवा रही है।
2023 चुनाव में दिया गया था यह तर्क
याचिकाकर्ता ने बताया कि सत्र 2023-24 में सरकार ने चुनाव न कराने का कारण नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को बताया था। सरकार ने कहा था कि NEP के प्रावधानों को लागू करने में समय लग रहा है। साथ ही, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें भी लागू नहीं हो पा रही हैं। इसलिए चुनाव नहीं कराए जा सकते। लेकिन सत्र 2024-25 और 2025-26 में सरकार ने चुनाव नहीं कराने का कोई कारण नहीं बताया। इसी वजह से कोर्ट ने राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर क्या वजह है कि छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि चुनाव कराना उनका हक है और सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या जवाब देती है।
लिंगदोह कमेटी का हवाला देकर रखी मांग
दरअसल, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि छात्र संघ चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं। कोर्ट ने सरकार और राजस्थान यूनिवर्सिटी दोनों को नोटिस भेजा है। छात्र जय राव ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार पिछले तीन सालों से छात्र संघ चुनाव नहीं करवा रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार, एकेडमिक सेशन शुरू होने के 6-8 हफ़्तों के अंदर चुनाव हो जाने चाहिए। लेकिन सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता का कहना है कि छात्र संघ चुनाव के माध्यम से अपने प्रतिनिधि चुनना छात्रों का मौलिक अधिकार है। सरकार इस अधिकार का हनन कर रही है।
वकील शांतनु पारीक ने अदालत में बहस करते हुए कहा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट की लॉर्जर बेंच के फैसले और लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को नहीं मान रही है। इस पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से चुनाव नहीं कराने का कारण पूछा। याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि सरकार पिछले दो सालों से बिना किसी कारण के चुनाव नहीं करवा रही है।
2023 चुनाव में दिया गया था यह तर्क
याचिकाकर्ता ने बताया कि सत्र 2023-24 में सरकार ने चुनाव न कराने का कारण नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) को बताया था। सरकार ने कहा था कि NEP के प्रावधानों को लागू करने में समय लग रहा है। साथ ही, लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें भी लागू नहीं हो पा रही हैं। इसलिए चुनाव नहीं कराए जा सकते। लेकिन सत्र 2024-25 और 2025-26 में सरकार ने चुनाव नहीं कराने का कोई कारण नहीं बताया। इसी वजह से कोर्ट ने राज्य सरकार और यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि आखिर क्या वजह है कि छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि चुनाव कराना उनका हक है और सरकार को इसका सम्मान करना चाहिए। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या जवाब देती है।
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