पुष्कर/अजमेर: राजस्थान के मशहूर पुष्कर मेले में इस बार ऊंटों की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी जा रही है। जो ऊंट पिछले साल 5 से 7 हजार रुपये में बिक नहीं रहे थे, वे इस बार 80 से 90 हजार रुपये तक में खरीदे जा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह में से एक प्रदेश से ऊंटों के बाहर ले जाने पर लगी पाबंदी में ढील को बताया जा रहा है।
राज्य सरकार की ओर से ऊंटों के परिवहन पर लगी रोक में ढील दिए जाने की खबर ने इस मेले में नई जान फूंक दी है। पशु व्यापारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि ऊंटों का व्यापार हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश तक फिर से शुरू हो सकेगा। ऊंट ब्रोकर सुरेश कुमावत के अनुसार, 'पिछले पांच सालों में ऊंटों की संख्या घटी थी, लेकिन इस बार व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।
पुष्कर मेले में ऊंट व्यापारियों की उम्मीदें बढ़ीं
पाली जिले के सोजत निवासी किसान अमराराम ने बताया कि उन्होंने इस बार मेला शुरू होने से पहले ही एक ऊंट ₹40000 से ज्यादा में बेच दिया, जबकि पिछले साल दो ऊंट मिलाकर उन्हें केवल ₹ 20000 ही मिले थे। उन्हीं की तरह एक और ऊंट पालक ने बताया कि अगर नियमों की अधिसूचना जारी हो जाए, तो ऊंट व्यापार में फिर से जान लौट आएगी।
2015 में लगी थी रोक, अब बदले हालात
दरअसल, 2015 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित करते हुए ‘राजस्थान ऊंट (वध निषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात विनियमन) अधिनियम’ लागू किया था। इस कानून के तहत ऊंटों को राज्य से बाहर ले जाने के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि ऊंटों की कीमतें तेजी से गिरीं और उनकी संख्या में भी भारी गिरावट आई।
नियमों में ढील पर अटकी प्रक्रिया, ऊंट पालकों का बढ़ा उत्साह
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ऊंटों के आवागमन को लेकर नए नियम तैयार कर लिए गए हैं, जिनके तहत अब एसडीएम (उपखंड अधिकारी) भी परिवहन अनुमति दे सकेंगे। हालांकि, इस बदलाव की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है। जब तक यह जारी नहीं होती, तब तक खरीदार ऊंटों को राज्य से बाहर नहीं ले जा सकते।
ऊंट खरीदारों के लिए अब भी मुश्किलें
हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और दक्षिणी राज्यों से भी व्यापारी पुष्कर पहुंचे हैं, पर ऊंटों को बाहर ले जाने की अनुमति न मिलने से परेशान हैं। जोधपुर की संस्था ‘लोक पशु पालक समिति’ के संस्थापक हनवंत सिंह की मानें तो अगर नियमों को लचीला किया गया तो ऊंटपालन को नई दिशा मिलेगी, लेकिन जब तक आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं आता, खरीदारों को दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी।
ऊंटों की घटती आबादी पर चिंता
2019 की पशुधन गणना के अनुसार, राजस्थान में ऊंटों की संख्या घटकर 2.10 लाख रह गई है, जो 2012 की तुलना में लगभग 35% कम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऊंट व्यापार को व्यावहारिक ढंग से खोला गया तो यह न केवल पशुपालकों की आय बढ़ाएगा, बल्कि इस प्रतीकात्मक जीव की संख्या भी बचाई जा सकेगी।
राज्य सरकार की ओर से ऊंटों के परिवहन पर लगी रोक में ढील दिए जाने की खबर ने इस मेले में नई जान फूंक दी है। पशु व्यापारी अब उम्मीद कर रहे हैं कि ऊंटों का व्यापार हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश तक फिर से शुरू हो सकेगा। ऊंट ब्रोकर सुरेश कुमावत के अनुसार, 'पिछले पांच सालों में ऊंटों की संख्या घटी थी, लेकिन इस बार व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।
पुष्कर मेले में ऊंट व्यापारियों की उम्मीदें बढ़ीं
पाली जिले के सोजत निवासी किसान अमराराम ने बताया कि उन्होंने इस बार मेला शुरू होने से पहले ही एक ऊंट ₹40000 से ज्यादा में बेच दिया, जबकि पिछले साल दो ऊंट मिलाकर उन्हें केवल ₹ 20000 ही मिले थे। उन्हीं की तरह एक और ऊंट पालक ने बताया कि अगर नियमों की अधिसूचना जारी हो जाए, तो ऊंट व्यापार में फिर से जान लौट आएगी।
2015 में लगी थी रोक, अब बदले हालात
दरअसल, 2015 में राजस्थान सरकार ने ऊंट को राज्य पशु घोषित करते हुए ‘राजस्थान ऊंट (वध निषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात विनियमन) अधिनियम’ लागू किया था। इस कानून के तहत ऊंटों को राज्य से बाहर ले जाने के लिए जिला कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य कर दी गई थी। इसका असर यह हुआ कि ऊंटों की कीमतें तेजी से गिरीं और उनकी संख्या में भी भारी गिरावट आई।
नियमों में ढील पर अटकी प्रक्रिया, ऊंट पालकों का बढ़ा उत्साह
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ऊंटों के आवागमन को लेकर नए नियम तैयार कर लिए गए हैं, जिनके तहत अब एसडीएम (उपखंड अधिकारी) भी परिवहन अनुमति दे सकेंगे। हालांकि, इस बदलाव की अधिसूचना अभी जारी नहीं हुई है। जब तक यह जारी नहीं होती, तब तक खरीदार ऊंटों को राज्य से बाहर नहीं ले जा सकते।
ऊंट खरीदारों के लिए अब भी मुश्किलें
हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और दक्षिणी राज्यों से भी व्यापारी पुष्कर पहुंचे हैं, पर ऊंटों को बाहर ले जाने की अनुमति न मिलने से परेशान हैं। जोधपुर की संस्था ‘लोक पशु पालक समिति’ के संस्थापक हनवंत सिंह की मानें तो अगर नियमों को लचीला किया गया तो ऊंटपालन को नई दिशा मिलेगी, लेकिन जब तक आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं आता, खरीदारों को दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी।
ऊंटों की घटती आबादी पर चिंता
2019 की पशुधन गणना के अनुसार, राजस्थान में ऊंटों की संख्या घटकर 2.10 लाख रह गई है, जो 2012 की तुलना में लगभग 35% कम है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऊंट व्यापार को व्यावहारिक ढंग से खोला गया तो यह न केवल पशुपालकों की आय बढ़ाएगा, बल्कि इस प्रतीकात्मक जीव की संख्या भी बचाई जा सकेगी।
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