अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: जब भारत के अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अपनी पत्नी कामना शुक्ला को वीडियो कॉल किया, तो वह पल न सिर्फ एक तकनीकी चमत्कार था। बल्कि एक गहराई से जुड़ा भावनात्मक अनुभव भी था। यह कॉल भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक अद्वितीय क्षण बन गया। क्योंकि यह पहली बार था जब किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने स्पेस स्टेशन से अपनी पत्नी को कॉल किया और वह महिला देश की पहली भारतीय महिला बन गईं जिन्हें सीधे अंतरिक्ष से संपर्क किया गया।
अंतरिक्ष से जब आई आवाज
तारीख थी 26 जून 2025, शुभांशु शुक्ला उसी दिन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से उड़ान भरने के बाद आईएसएस पर पहुंचे थे। उन्होंने स्टेशन पर पहुंचते ही जैसे ही स्थिति सामान्य की, सबसे पहले अपनी पत्नी कामना को वीडियो कॉल किया। कॉल के दौरान उन्होंने आईएसएस पर अपने शुरुआती अनुभव, मिशन की चुनौतियों, वहां की दिनचर्या और अंतरिक्ष से धरती के अद्भुत नजारों के बारे में बात की।
कामना के लिए एक अविस्मरणीय पल
डॉ. कामना शुक्ला एक पेशेवर डेंटिस्ट हैं और शुभांशु की पत्नी व बचपन की दोस्त भी हैं। उन्होंने उस पल को याद करते हुए कहा कि जब मैंने उनका चेहरा स्क्रीन पर देखा और उनकी आवाज सुनी, तो मैं कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध रह गई थी। यह सिर्फ एक कॉल नहीं थी, यह भरोसे और प्रेम का वो एहसास था, जो हजारों किलोमीटर दूर होते हुए भी बहुत पास था। कामना ने आगे कहा कि वह सुरक्षित हैं, ये जानना ही मेरे लिए सबसे बड़ी बात थी। उस समय हर शब्द, हर मुस्कान मेरे लिए अनमोल थी।
तकनीकी सीमा और भावनात्मक गहराई
अंतरिक्ष स्टेशन से कॉल करना तकनीकी रूप से जटिल होता है। लैग, सीमित समय, और पृथ्वी से हजारों किलोमीटर की दूरी के बावजूद, यह कॉल सुचारू रही। कॉल के दौरान शुभांशु ने अंतरिक्ष में भारतीय प्रयोगों, जैसे मेथी और मूंग के बीजों को उगाने के प्रयोगों के बारे में जानकारी दी।
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने यह भी कहा कि आईएसएस से जब मैंने पृथ्वी को देखा, तो सबसे पहले दिमाग में कामना और कियाश (बेटे) का चेहरा आया। मैं जानता था कि वे मुझे लेकर चिंतित होंगे। इसलिए उन्हें बताना चाहता था कि मैं पूरी तरह से ठीक हूं।
एक नई मिसाल
यह कॉल केवल एक अंतरिक्ष यात्री और उसके परिवार के बीच संवाद नहीं था, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की मानवीय गहराई को दर्शाने वाला एक उदाहरण था। कामना इस कॉल के जरिए भारत की पहली महिला बन गईं जिन्हें अंतरिक्ष स्टेशन से कॉल आई है। उनका कहना है कि यह पल उन्हें जीवन भर याद रहेगा। इस कॉल ने मेरे अंदर अपने पति के लिए गर्व, सम्मान और प्यार को कई गुना बढ़ा दिया है।
बचपन की दोस्ती से अंतरिक्ष तक का साथ
शुभांशु और कामना की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। दोनों लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में तीसरी कक्षा से एक-दूसरे को जानते हैं। 2009 में दोनों ने विवाह किया और तब से हर मुकाम पर एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। कामना ने शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अमेरिका में रहकर उनका हरसंभव सपोर्ट किया। शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से पत्नी कामना को किया गया फोन, केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि मानवीय जुड़ाव, भरोसे और प्रेम का प्रतीक बन गया है। यह वह क्षण है जिसने तकनीक और भावना, दोनों को एक ही फ्रेम में समेट दिया है। अंतरिक्ष की गहराइयों से धरती पर दिलों को छू लेने वाला एक कॉल।
अंतरिक्ष से जब आई आवाज
तारीख थी 26 जून 2025, शुभांशु शुक्ला उसी दिन स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से उड़ान भरने के बाद आईएसएस पर पहुंचे थे। उन्होंने स्टेशन पर पहुंचते ही जैसे ही स्थिति सामान्य की, सबसे पहले अपनी पत्नी कामना को वीडियो कॉल किया। कॉल के दौरान उन्होंने आईएसएस पर अपने शुरुआती अनुभव, मिशन की चुनौतियों, वहां की दिनचर्या और अंतरिक्ष से धरती के अद्भुत नजारों के बारे में बात की।
कामना के लिए एक अविस्मरणीय पल
डॉ. कामना शुक्ला एक पेशेवर डेंटिस्ट हैं और शुभांशु की पत्नी व बचपन की दोस्त भी हैं। उन्होंने उस पल को याद करते हुए कहा कि जब मैंने उनका चेहरा स्क्रीन पर देखा और उनकी आवाज सुनी, तो मैं कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध रह गई थी। यह सिर्फ एक कॉल नहीं थी, यह भरोसे और प्रेम का वो एहसास था, जो हजारों किलोमीटर दूर होते हुए भी बहुत पास था। कामना ने आगे कहा कि वह सुरक्षित हैं, ये जानना ही मेरे लिए सबसे बड़ी बात थी। उस समय हर शब्द, हर मुस्कान मेरे लिए अनमोल थी।
तकनीकी सीमा और भावनात्मक गहराई
अंतरिक्ष स्टेशन से कॉल करना तकनीकी रूप से जटिल होता है। लैग, सीमित समय, और पृथ्वी से हजारों किलोमीटर की दूरी के बावजूद, यह कॉल सुचारू रही। कॉल के दौरान शुभांशु ने अंतरिक्ष में भारतीय प्रयोगों, जैसे मेथी और मूंग के बीजों को उगाने के प्रयोगों के बारे में जानकारी दी।
अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने यह भी कहा कि आईएसएस से जब मैंने पृथ्वी को देखा, तो सबसे पहले दिमाग में कामना और कियाश (बेटे) का चेहरा आया। मैं जानता था कि वे मुझे लेकर चिंतित होंगे। इसलिए उन्हें बताना चाहता था कि मैं पूरी तरह से ठीक हूं।
एक नई मिसाल
यह कॉल केवल एक अंतरिक्ष यात्री और उसके परिवार के बीच संवाद नहीं था, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की मानवीय गहराई को दर्शाने वाला एक उदाहरण था। कामना इस कॉल के जरिए भारत की पहली महिला बन गईं जिन्हें अंतरिक्ष स्टेशन से कॉल आई है। उनका कहना है कि यह पल उन्हें जीवन भर याद रहेगा। इस कॉल ने मेरे अंदर अपने पति के लिए गर्व, सम्मान और प्यार को कई गुना बढ़ा दिया है।
बचपन की दोस्ती से अंतरिक्ष तक का साथ
शुभांशु और कामना की कहानी भी कम प्रेरणादायक नहीं है। दोनों लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में तीसरी कक्षा से एक-दूसरे को जानते हैं। 2009 में दोनों ने विवाह किया और तब से हर मुकाम पर एक-दूसरे के साथ खड़े हैं। कामना ने शुभांशु की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अमेरिका में रहकर उनका हरसंभव सपोर्ट किया। शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से पत्नी कामना को किया गया फोन, केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि मानवीय जुड़ाव, भरोसे और प्रेम का प्रतीक बन गया है। यह वह क्षण है जिसने तकनीक और भावना, दोनों को एक ही फ्रेम में समेट दिया है। अंतरिक्ष की गहराइयों से धरती पर दिलों को छू लेने वाला एक कॉल।
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