नई दिल्ली : पुरानी गाड़ियों पर 1 जुलाई से लागू फ्यूल बैन पर हमने अपने रीडर्स से उनकी राय मांगी थी। कुछ लोगों ने इस कदम को जरूरी माना, तो कुछ ने इसे आम जनता पर बोझ डालने वाला फैसला बताया है। हमें ढेरो रिस्पॉन्स मिले, जिनमें से चुनिंदा लोगों की राय आज हम प्रकाशित कर रहे हैं।
जनता को ज्यादा परेशानी
विशाल का कहना है कि मुझे लगता है कि यह नीति बिल्कुल भी जरूरी नहीं है और इससे आम लोगों को और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सरकार असल में उन मुख्य कारणों पर नियंत्रण करने में नाकाम रही है जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, और अब ऐसे फैसलों से वो अपनी नाकामी छिपा रही है।
बैन का फैसला सही
हितेंद्र डेढ़ा कहते हैं, दिल्ली में डीजल और पेट्रोल की 15 और 10 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को चलाने पर बैन लगाने का फैसला किसी हद तक ठीक है क्योंकि ये पुरानी गाड़ियां भी राजधानी में प्रदूषण बढ़ाने के कारकों में से एक है। इसमें आम नागरिकों को भी सरकार का सहयोग करना चाहिए।
'प्रदूषण में आ सकती है कमी':
पैंथर तोमर के अनुसार, पुरानी गाड़ियों को फ्यूल न देने का फैसला बिलकुल सही है। यह नया नियम पुरानी गाड़ियों पर पुरी तरह से रोक लगा देगा और दिल्ली को प्रदुषण से कुछ हद तक मुक्ति दिलाने में भी मदद मिलेगी।
'कड़ी निगरानी की जाए': करन
झा ने कहा, ये फैसला बिल्कुल सही है। लेकिन प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार को पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरे, एएनपीआर (स्वचालित नंबर प्लेट पहचान) प्रणाली और सार्वजनिक अलर्ट प्रणाली जैसे उपायों का इस्तेमाल करके निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए।
'उम्र नहीं फिटनेस जरूरी': मुकेश
गुप्ता के अनुसार, सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कई मिडल क्लास लोग अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही कार खरीद सकते हैं और ऐसे में उन पर यह बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है। अमीरों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। अगर कोई गाड़ी फिटनेस और प्रदूषण जांच में पास हो जाती है, तो उसे चलने की अनुमति मिलनी चाहिए। आम जनता को इस वजह से परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
जनता को ज्यादा परेशानी
विशाल का कहना है कि मुझे लगता है कि यह नीति बिल्कुल भी जरूरी नहीं है और इससे आम लोगों को और ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सरकार असल में उन मुख्य कारणों पर नियंत्रण करने में नाकाम रही है जो प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, और अब ऐसे फैसलों से वो अपनी नाकामी छिपा रही है।
बैन का फैसला सही
हितेंद्र डेढ़ा कहते हैं, दिल्ली में डीजल और पेट्रोल की 15 और 10 साल से ज्यादा पुरानी गाड़ियों को चलाने पर बैन लगाने का फैसला किसी हद तक ठीक है क्योंकि ये पुरानी गाड़ियां भी राजधानी में प्रदूषण बढ़ाने के कारकों में से एक है। इसमें आम नागरिकों को भी सरकार का सहयोग करना चाहिए।
'प्रदूषण में आ सकती है कमी':
पैंथर तोमर के अनुसार, पुरानी गाड़ियों को फ्यूल न देने का फैसला बिलकुल सही है। यह नया नियम पुरानी गाड़ियों पर पुरी तरह से रोक लगा देगा और दिल्ली को प्रदुषण से कुछ हद तक मुक्ति दिलाने में भी मदद मिलेगी।
'कड़ी निगरानी की जाए': करन
झा ने कहा, ये फैसला बिल्कुल सही है। लेकिन प्रभावी रूप से लागू करने के लिए सरकार को पेट्रोल पंपों पर सीसीटीवी कैमरे, एएनपीआर (स्वचालित नंबर प्लेट पहचान) प्रणाली और सार्वजनिक अलर्ट प्रणाली जैसे उपायों का इस्तेमाल करके निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए।
'उम्र नहीं फिटनेस जरूरी': मुकेश
गुप्ता के अनुसार, सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए कि कई मिडल क्लास लोग अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही कार खरीद सकते हैं और ऐसे में उन पर यह बहुत बड़ा आर्थिक बोझ पड़ता है। अमीरों के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। अगर कोई गाड़ी फिटनेस और प्रदूषण जांच में पास हो जाती है, तो उसे चलने की अनुमति मिलनी चाहिए। आम जनता को इस वजह से परेशान नहीं किया जाना चाहिए।
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