नई दिल्ली/बीजिंग/इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने 314 किलोमीटर की दूरी से पाकिस्तानी अवाक्स एयरक्राफ्ट को मार गिराया था। भारत ने ऐसा करते वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एयर टू एयर मिसाइलों का जबरदस्त रोल देखने को मिला। चीन ने पाकिस्तान को PL-15 एयर टू एयर मिसाइल दिया था। ऐसी रिपोर्ट है कि पाकिस्तान ने 10 PL-15 एयर टू एयर मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिनमें से 9 को भारत ने इंटरसेप्ट कर लिया था, जिनमें से एक बिना खराब हुए जमीन पर गिरा।
वहीं, भारत खुद का एयर टू एयर मिसाइल Astra-3 बना रहा है, जिसका नाम गांडीव रखा गया है। इसकी क्षमता PL-15 एयर टू एयर मिसाइल से काफी ज्यादा है। फिलहाल ये डेवलपमेंट फेज में है। भविष्य में लड़ाई और भी ज्यादा बदलने वाली हैं और एयर टू एयर मिसाइलों के साथ साथ जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का काफी ज्यादा इस्तेमाल होने वाला है। खासकर चीन और पाकिस्तान जैसी परमाणु शक्तियों से घिरे भारत के लिए लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता बढ़ाना रणनीतिक जरूरत बन गई है। इसीलिए भारत अब अरबों डॉलर के निवेश से अपने लड़ाकू बेड़े को नई पीढ़ी की लॉन्ग-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस कर रहा है।
राफेल के लिए यूरोपीय Meteor मिसाइल खरीदेगा भारत?
समाचार एजेंसी ANI ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत, यूरोपीय Meteor मिसाइलों की एक बड़ी खेप खरीदने की तैयारी में है, जिसकी कीमत करीब 1,500 करोड़ बताई जा रही है। रक्षा मंत्रालय में यह प्रस्ताव अंतिम चरण में है और जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। आपको बता दें कि यूरोपीय कंपनी MBDA ने Meteor मिसाइल को डेवलप किया है और ये दुनिया की सबसे एडवांस BVR मिसाइलों में से एक मानी जाती है। इसकी मारक क्षमता 200 किलोमीटर तक है।
Meteor मिसाइल पहले से ही भारतीय वायुसेना के 36 राफेल लड़ाकू विमानों में लगी है और अब इसे नौसेना के लिए ऑर्डर किए गए 26 राफेल मरीन जेट्स में भी लगाया जाएगा। Meteor में रैमजेट इंजन है जो उसे टारगेट को हिट करने तक हाई स्पीड बनाए रखने की क्षमता देता है। साथ ही उसका दो-तरफ़ा डेटा लिंक पायलट को फ्लाइट के दौरान ही लक्ष्य बदलने की अनुमति देता है। ये मिसाइल दुश्मनों के विमानों के लिए 'नो एस्केप जोन' बनाता है, जिससे 'फर्स्ट शॉट एंड फर्स्ट किल' की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
स्वदेशी Astra और रूसी R-37M खरीदने का प्लान
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड पायलट विजयेन्द्र के ठाकुर ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को हर हाल में रूसी R-37M एयर टू एयर मिसाइल खरीदना चाहिए। उन्होंने हैरानी जताई थी कि भारत ने ऐसा पहले क्यों नहीं किया, ये हैरान करने वाली बात है। रूस ने Aero India 2025 में भारत को अपनी सुपरसोनिक R-37M (RVV-BD) मिसाइल की पेशकश की थी, जिसकी रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है और यह AWACS, टैंकर और बमवर्षक विमानों जैसे हाई-वैल्यू टारगेट्स को मार गिराने के लिए डिजाइन की गई है। रूस का दावा है कि इस मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर तक है। रूस और भारत इन मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन पर भी चर्चा कर रहे हैं।
इसके अलावा भारत अपने स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम Astra पर भी पूरी ताकत से काम कर रहा है। Astra Mk-1 पहले से ही Su-30MKI और LCA Tejas में ऑपरेशनल है, जिसकी रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा है। अब DRDO ने Astra Mk-2 को डेवलप करना तेजी से शुरू कर दिया है, जिसकी रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबित, भारतीय वायुसेना में Astra Mk-2 की 700 से ज्यादा मिसाइलें सौंपी जाएंगी। लेकिन दुश्मन जिस मिसाइल से सबसे ज्यादा डरेंगे, वो Astra Mk-3 है, जिसे गांडीव नाम दिया गया है। इस मिसाइल की रेंज 340 किलोमीटर से ज्यादा है। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक एयर टू एयर मिसाइल माना जा रहा है।
मिसाइल रेस में चीन-पाकिस्तान से आगे निकलने की तैयारी
आपको बता दें कि भारत का मकसद चीन और पाकिस्तान के मुकाबले आगे निकलने की है। पाकिस्तान के पास चीनी PL-15E मिसाइल है जिसकी रेंज 145 किलोमीटर तक है, जबकि चीन के पास PL-15, PL-17 और PL-21 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 200-300 किलोमीटर के बीच है। अलग अलग वैरिएंट की रेंज अलग अलग है। ऐसे में Meteor, Astra Mk-3 और R-37M जैसी एयर टू एयर मिसाइलें भारत की क्षमता में जबरदस्त इजाफा कर सकते हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब ये सभी मिसाइलें पूरी तरह से तैनात हो जाएंगी, तो भारतीय वायुसेना के पास एशिया में सबसे एडवांस एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम होगा। इससे ना सिर्फ भारत की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस कैपेबिलिटी काफी बढ़ जाएगी, बल्कि भारत को नेटवर्क-सेंट्रिक, हाई-टेक वायु क्षमता भी मिल जाएगा।
वहीं, भारत खुद का एयर टू एयर मिसाइल Astra-3 बना रहा है, जिसका नाम गांडीव रखा गया है। इसकी क्षमता PL-15 एयर टू एयर मिसाइल से काफी ज्यादा है। फिलहाल ये डेवलपमेंट फेज में है। भविष्य में लड़ाई और भी ज्यादा बदलने वाली हैं और एयर टू एयर मिसाइलों के साथ साथ जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का काफी ज्यादा इस्तेमाल होने वाला है। खासकर चीन और पाकिस्तान जैसी परमाणु शक्तियों से घिरे भारत के लिए लंबी दूरी की मिसाइल क्षमता बढ़ाना रणनीतिक जरूरत बन गई है। इसीलिए भारत अब अरबों डॉलर के निवेश से अपने लड़ाकू बेड़े को नई पीढ़ी की लॉन्ग-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस कर रहा है।
राफेल के लिए यूरोपीय Meteor मिसाइल खरीदेगा भारत?
समाचार एजेंसी ANI ने अज्ञात सूत्रों के हवाले से बताया है कि भारत, यूरोपीय Meteor मिसाइलों की एक बड़ी खेप खरीदने की तैयारी में है, जिसकी कीमत करीब 1,500 करोड़ बताई जा रही है। रक्षा मंत्रालय में यह प्रस्ताव अंतिम चरण में है और जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है। आपको बता दें कि यूरोपीय कंपनी MBDA ने Meteor मिसाइल को डेवलप किया है और ये दुनिया की सबसे एडवांस BVR मिसाइलों में से एक मानी जाती है। इसकी मारक क्षमता 200 किलोमीटर तक है।
Meteor मिसाइल पहले से ही भारतीय वायुसेना के 36 राफेल लड़ाकू विमानों में लगी है और अब इसे नौसेना के लिए ऑर्डर किए गए 26 राफेल मरीन जेट्स में भी लगाया जाएगा। Meteor में रैमजेट इंजन है जो उसे टारगेट को हिट करने तक हाई स्पीड बनाए रखने की क्षमता देता है। साथ ही उसका दो-तरफ़ा डेटा लिंक पायलट को फ्लाइट के दौरान ही लक्ष्य बदलने की अनुमति देता है। ये मिसाइल दुश्मनों के विमानों के लिए 'नो एस्केप जोन' बनाता है, जिससे 'फर्स्ट शॉट एंड फर्स्ट किल' की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
स्वदेशी Astra और रूसी R-37M खरीदने का प्लान
नवभारत टाइम्स से बात करते हुए भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड पायलट विजयेन्द्र के ठाकुर ने पिछले दिनों कहा था कि भारत को हर हाल में रूसी R-37M एयर टू एयर मिसाइल खरीदना चाहिए। उन्होंने हैरानी जताई थी कि भारत ने ऐसा पहले क्यों नहीं किया, ये हैरान करने वाली बात है। रूस ने Aero India 2025 में भारत को अपनी सुपरसोनिक R-37M (RVV-BD) मिसाइल की पेशकश की थी, जिसकी रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है और यह AWACS, टैंकर और बमवर्षक विमानों जैसे हाई-वैल्यू टारगेट्स को मार गिराने के लिए डिजाइन की गई है। रूस का दावा है कि इस मिसाइल की रेंज 300 किलोमीटर तक है। रूस और भारत इन मिसाइलों के संयुक्त उत्पादन पर भी चर्चा कर रहे हैं।
इसके अलावा भारत अपने स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम Astra पर भी पूरी ताकत से काम कर रहा है। Astra Mk-1 पहले से ही Su-30MKI और LCA Tejas में ऑपरेशनल है, जिसकी रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा है। अब DRDO ने Astra Mk-2 को डेवलप करना तेजी से शुरू कर दिया है, जिसकी रेंज 200 किलोमीटर से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबित, भारतीय वायुसेना में Astra Mk-2 की 700 से ज्यादा मिसाइलें सौंपी जाएंगी। लेकिन दुश्मन जिस मिसाइल से सबसे ज्यादा डरेंगे, वो Astra Mk-3 है, जिसे गांडीव नाम दिया गया है। इस मिसाइल की रेंज 340 किलोमीटर से ज्यादा है। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक एयर टू एयर मिसाइल माना जा रहा है।
मिसाइल रेस में चीन-पाकिस्तान से आगे निकलने की तैयारी
आपको बता दें कि भारत का मकसद चीन और पाकिस्तान के मुकाबले आगे निकलने की है। पाकिस्तान के पास चीनी PL-15E मिसाइल है जिसकी रेंज 145 किलोमीटर तक है, जबकि चीन के पास PL-15, PL-17 और PL-21 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 200-300 किलोमीटर के बीच है। अलग अलग वैरिएंट की रेंज अलग अलग है। ऐसे में Meteor, Astra Mk-3 और R-37M जैसी एयर टू एयर मिसाइलें भारत की क्षमता में जबरदस्त इजाफा कर सकते हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब ये सभी मिसाइलें पूरी तरह से तैनात हो जाएंगी, तो भारतीय वायुसेना के पास एशिया में सबसे एडवांस एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम होगा। इससे ना सिर्फ भारत की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस कैपेबिलिटी काफी बढ़ जाएगी, बल्कि भारत को नेटवर्क-सेंट्रिक, हाई-टेक वायु क्षमता भी मिल जाएगा।
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