इस्लामाबाद: पाकिस्तान में 27वें संविधान संशोधन की इस समय खूब चर्चा है। इसमें न्यायपालिका के प्रबंधन और अनुशासन, संघीय और प्रांतीय सरकारों के बीच संसाधनों के वितरण और सशस्त्र बलों के नियंत्रण से संबंधित 1973 के संविधान के अनुच्छेद 243 में परिवर्तन शामिल हैं। इस बदलाव से सेना को मिलने वाली शक्तियों को लेकर नई बहस छिड़ गई है। पाकिस्तानी एक्सपर्ट आयशा सिद्दीक का कहना है कि मुनीर इसके जरिए सभी शक्तियां अपने पास रखने की कोशिश में हैं।
आयशा सिद्दीक ने द प्रिंस में लिखे लेख में कहा है कि पश्तून नेता मोहसिन दावर ने 27वें संशोधन को 'पंजाब के अभिजात वर्ग के लिए अभिशाप 18वें संशोधन को रद्द करने का प्रयास' बताया है। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने 18वें संशोधन को शेख मुजीबुर्रहमान के 1966 के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लिए छह-सूत्रीय फॉर्मूले से खतरनाक बताया था।
नियंत्रण बढ़ाना चाहती है सेनापाकिस्तानी सेना पाकिस्तान को एक कठोर राज्य में बदलना चाहती है। इसमें उसे एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वह उन वित्तीय संसाधनों पर नियंत्रण नहीं रख पा रही है, जो वह अपने पास रखना चाहती है। साल 2007 के अंत में परवेज मुशर्रफ के बाद सेना प्रमुख बने परवेज कियानी तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ जरदारी को 18वें संशोधन को पारित करने से नहीं रोक पाए थे।
अब सवाल यह है कि 27वां संशोधन मुनीर के लिए क्या काम करेगा। जनरल कियानी, शरीफ और बाजवा इस संशोधन में सफल नहीं हुए लेकिन असीम मुनीर को जीत की उम्मीद है। दो प्रमुख पार्टियां- पीएमएलएन और पीपीपी उनके प्रभाव में हैं। यह संशोधन आर्मी की ताकत बढ़ाते हुए सर्वोच्च न्यायालय को उन दिनों में वापस ले जा रहा है जब वह मार्शल लॉ को सही ठहराती थी।
पाकिस्तान पर सैन्य नियंत्रणपाकिस्तान के मौजूदा सिस्टम को हाइब्रिड व्यवस्था कहा गया है। पाकिस्तान की राजनीति पर अंदरूनी नजर रखने वाले लोगों को डर है कि सेना भले ही सीधे हस्तक्षेप ना करे लेकिन मुनीर के नियंत्रण में आने का खतरा बढ़ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि वह राष्ट्रपति के पद को ज्यादा शक्तियां देना चाहते हैं, जैसा 27वें संशोधन में प्रस्तावित है।
मुनीर सभी सेवाओं पर ज्यादा नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं। पत्रकार अस्मा शिराजी का मानना है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जैसा एक पद सृजित करने का प्रस्ताव है। फील्ड मार्शल तब एक केंद्रीय कमान का नेतृत्व करेंगे और सभी सेवाओं के प्रभारी होंगे। ऐसा माना जाता है कि भारत के साथ हालिया संघर्ष के कारण यह आवश्यक हो गया है, क्योंकि सेना प्रमुख बेहतर समन्वित चाहते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि यह वास्तव में मुनीर की ज्यादा शक्ति हासिल करने की कोशिश है। यह देखना बाकी है कि क्या वह सेना प्रमुख का पद भी बरकरार रखेंगे या इसे ट्रांसफर करेंगे। माना जा रहा है कि मुनीर सेना प्रमुख का पद छोड़ने का इरादा नहीं रखते हैं। कुल मिलाकर 27वां संशोधन वास्तव में मुनीर को मजबूत करने और पाकिस्तान को लोकतंत्र के पतन की ओर बढ़ाने के लिए है।
आयशा सिद्दीक ने द प्रिंस में लिखे लेख में कहा है कि पश्तून नेता मोहसिन दावर ने 27वें संशोधन को 'पंजाब के अभिजात वर्ग के लिए अभिशाप 18वें संशोधन को रद्द करने का प्रयास' बताया है। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने 18वें संशोधन को शेख मुजीबुर्रहमान के 1966 के पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के लिए छह-सूत्रीय फॉर्मूले से खतरनाक बताया था।
नियंत्रण बढ़ाना चाहती है सेनापाकिस्तानी सेना पाकिस्तान को एक कठोर राज्य में बदलना चाहती है। इसमें उसे एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। वह उन वित्तीय संसाधनों पर नियंत्रण नहीं रख पा रही है, जो वह अपने पास रखना चाहती है। साल 2007 के अंत में परवेज मुशर्रफ के बाद सेना प्रमुख बने परवेज कियानी तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ जरदारी को 18वें संशोधन को पारित करने से नहीं रोक पाए थे।
अब सवाल यह है कि 27वां संशोधन मुनीर के लिए क्या काम करेगा। जनरल कियानी, शरीफ और बाजवा इस संशोधन में सफल नहीं हुए लेकिन असीम मुनीर को जीत की उम्मीद है। दो प्रमुख पार्टियां- पीएमएलएन और पीपीपी उनके प्रभाव में हैं। यह संशोधन आर्मी की ताकत बढ़ाते हुए सर्वोच्च न्यायालय को उन दिनों में वापस ले जा रहा है जब वह मार्शल लॉ को सही ठहराती थी।
पाकिस्तान पर सैन्य नियंत्रणपाकिस्तान के मौजूदा सिस्टम को हाइब्रिड व्यवस्था कहा गया है। पाकिस्तान की राजनीति पर अंदरूनी नजर रखने वाले लोगों को डर है कि सेना भले ही सीधे हस्तक्षेप ना करे लेकिन मुनीर के नियंत्रण में आने का खतरा बढ़ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि वह राष्ट्रपति के पद को ज्यादा शक्तियां देना चाहते हैं, जैसा 27वें संशोधन में प्रस्तावित है।
मुनीर सभी सेवाओं पर ज्यादा नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं। पत्रकार अस्मा शिराजी का मानना है कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जैसा एक पद सृजित करने का प्रस्ताव है। फील्ड मार्शल तब एक केंद्रीय कमान का नेतृत्व करेंगे और सभी सेवाओं के प्रभारी होंगे। ऐसा माना जाता है कि भारत के साथ हालिया संघर्ष के कारण यह आवश्यक हो गया है, क्योंकि सेना प्रमुख बेहतर समन्वित चाहते हैं।
एक्सपर्ट का कहना है कि यह वास्तव में मुनीर की ज्यादा शक्ति हासिल करने की कोशिश है। यह देखना बाकी है कि क्या वह सेना प्रमुख का पद भी बरकरार रखेंगे या इसे ट्रांसफर करेंगे। माना जा रहा है कि मुनीर सेना प्रमुख का पद छोड़ने का इरादा नहीं रखते हैं। कुल मिलाकर 27वां संशोधन वास्तव में मुनीर को मजबूत करने और पाकिस्तान को लोकतंत्र के पतन की ओर बढ़ाने के लिए है।
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