फलों को कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा माना जाता है। ये पोषण का खजाना होते हैं, लेकिन जब इन्हें खाने की बात आती है तो अक्सर लोग इस दुविधा में पड़ जाते हैं—पूरा फल खाएं या उसका जूस पिएं? इस विषय पर अक्सर बहस होती है। इसे लेकर हमने डाइटीशियन आयुषी यादव से विस्तार से बात की।
पूरा फल खाने के फायदेडाइटीशियन आयुषी के मुताबिक, होल फ्रूट यानी पूरा फल एक नेचुरल कंप्लीट पैकेज होता है, जिसमें भरपूर मात्रा में विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर होते हैं। ये न सिर्फ पाचन को दुरुस्त करते हैं बल्कि ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद करते हैं।
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फाइबर की मौजूदगी से भूख देर तक नहीं लगती, पेट भरा हुआ महसूस होता है और ओवरईटिंग से बचाव होता है।
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सेब, जामुन, संतरा और केला जैसे फलों की बनावट और स्वाद खाने के अनुभव को बेहतर बनाते हैं।
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ये एंटीऑक्सिडेंट्स भी प्रदान करते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
हालांकि, कुछ फल जैसे तरबूज या कटहल को काटना-छीलना थोड़ा झंझटभरा हो सकता है, खासकर बिजी लाइफस्टाइल में।
फ्रूट जूस के फायदे और नुकसानताजे फलों का रस पीना एक त्वरित और सुविधाजनक विकल्प हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें चबाने में दिक्कत होती है।
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जूस पीने से शरीर को हाइड्रेशन और विटामिन C तुरंत मिलता है।
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घर का बना जूस पैक्ड जूस की तुलना में बेहतर होता है क्योंकि इसमें एडेड शुगर नहीं होती।
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लेकिन जूस से फाइबर पूरी तरह हट जाता है, जिससे शरीर में शुगर तेजी से अब्जॉर्ब होती है और ब्लड शुगर स्पाइक का खतरा बढ़ जाता है।
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ज्यादा जूस पीने से अनजाने में ज्यादा कैलोरी इनटेक हो सकता है।
इसका जवाब आपकी सेहत और जरूरतों पर निर्भर करता है:
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ओवरऑल हेल्थ के लिहाज से देखें तो पूरा फल खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। इससे फाइबर और अन्य न्यूट्रिएंट्स संतुलित रूप से मिलते हैं और पोर्शन कंट्रोल भी आसान होता है।
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अगर कभी जूस पीना हो, तो घर पर ताजे फलों से तैयार करें, और छोटे ग्लास (एक बार में 150-200 ml) से ज्यादा न लें।
ध्यान रखें:
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पैकेज्ड जूस या अस्वच्छ जगहों से जूस लेने से बचें।
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जूस तभी पिएं जब आप साथ में फाइबर युक्त भोजन ले रहे हों।
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बीमार अवस्था में जब ठोस भोजन लेना कठिन हो, वहां फ्रूट जूस कारगर हो सकता है, लेकिन सामान्य स्थिति में होल फ्रूट को ही प्राथमिकता दें।
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