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Fixed Deposit : आपके पैसे को सुरक्षित रखने का सबसे भरोसेमंद विकल्प! निवेश से पहले जानें ये जरूरी टिप्स

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Fixed Deposit : आपके पैसे को सुरक्षित रखने का सबसे भरोसेमंद विकल्प! निवेश से पहले जानें ये जरूरी टिप्स

: जब बात आती है अपने কষ্টার্জিত धन को सुरक्षित रखने और उस पर एक निश्चित रिटर्न पाने की, तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) आज भी भारतीय निवेशकों के बीच सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद विकल्पों में से एक है। बाजार के उतार-चढ़ाव से दूर, FD एक गारंटीड रिटर्न का वादा करती है, जो इसे विशेष रूप से जोखिम से बचने वाले निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए आकर्षक बनाता है। लेकिन FD में निवेश करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है ताकि आप इसका अधिकतम लाभ उठा सकें।

Fixed Deposit क्या है? एक सरल समझ

फिक्स्ड डिपॉजिट एक प्रकार का सावधि जमा खाता है जहां आप एक निश्चित अवधि के लिए एकमुश्त राशि जमा करते हैं। बैंक या वित्तीय संस्थान इस जमा पर एक पूर्व-निर्धारित ब्याज दर प्रदान करता है। अवधि पूरी होने पर, आपको मूलधन के साथ संचित ब्याज मिलता है। FD की अवधि कुछ दिनों से लेकर 10 साल तक हो सकती है।

FD में निवेश के फायदे: क्यों चुनें फिक्स्ड डिपॉजिट?
  • सुरक्षा और निश्चितता: FD को सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक माना जाता है। इसमें बाजार जोखिम लगभग न के बराबर होता है और रिटर्न की गारंटी होती है।

  • निश्चित ब्याज दर: ब्याज दर खाता खोलने के समय ही तय हो जाती है, इसलिए आपको पता होता है कि मैच्योरिटी पर आपको कितना पैसा मिलेगा।

  • लिक्विडिटी (तरलता): आवश्यकता पड़ने पर FD को समय से पहले तोड़ा जा सकता है, हालांकि इसमें कुछ जुर्माना लग सकता है।

  • लोन की सुविधा: कई बैंक FD के एवज में लोन की सुविधा भी देते हैं।

  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष दरें: आमतौर पर बैंक वरिष्ठ नागरिकों को FD पर थोड़ी अधिक ब्याज दर प्रदान करते हैं।

  • निवेश की आसान प्रक्रिया: FD खोलना एक सरल और सीधी प्रक्रिया है।

FD में निवेश करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण टिप्स

फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने से पहले कुछ बातों पर विचार करना आवश्यक है ताकि आपका निवेश फायदेमंद साबित हो:

  • ब्याज दरों की तुलना करें: अलग-अलग बैंक और वित्तीय संस्थान FD पर अलग-अलग ब्याज दरें देते हैं। निवेश करने से पहले विभिन्न बैंकों की दरों की तुलना अवश्य करें।

  • अवधि का सही चुनाव: अपनी वित्तीय जरूरतों और लक्ष्यों के अनुसार FD की अवधि चुनें। यदि आपको निकट भविष्य में पैसों की आवश्यकता हो सकती है, तो छोटी अवधि की FD चुनें।

  • मैच्योरिटी निर्देश स्पष्ट करें: FD खोलते समय यह स्पष्ट करें कि मैच्योरिटी पर आप मूलधन और ब्याज का क्या करना चाहते हैं – क्या आप इसे निकालना चाहते हैं या इसे रिन्यू करना चाहते हैं।

  • ब्याज भुगतान का विकल्प चुनें: आप अपनी सुविधानुसार ब्याज भुगतान का विकल्प (मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक, वार्षिक या मैच्योरिटी पर) चुन सकते हैं।

  • समयपूर्व निकासी के नियम जानें: FD को समय से पहले तोड़ने पर लगने वाले जुर्माने और शर्तों को समझ लें।

  • टैक्सेशन (कराधान) को समझें: FD से मिलने वाला ब्याज आपकी आय में जुड़ता है और उस पर आपके टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। यदि एक वित्तीय वर्ष में ब्याज आय एक निश्चित सीमा (वर्तमान में ₹40,000, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक है, तो TDS (स्रोत पर कर कटौती) भी काटा जाता है। इससे बचने के लिए फॉर्म 15G/15H जमा किया जा सकता है (यदि लागू हो)।

  • नामांकन (Nomination) अवश्य कराएं: किसी भी अनहोनी की स्थिति में आपके नॉमिनी को आसानी से पैसा मिल सके, इसके लिए नामांकन सुविधा का लाभ उठाएं।

  • अलग-अलग बैंकों में निवेश करें (Diversification): यदि आप बड़ी रकम निवेश कर रहे हैं, तो DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) द्वारा प्रति बैंक प्रति जमाकर्ता ₹5 लाख तक की बीमा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अपनी राशि को अलग-अलग बैंकों में बांट सकते हैं।

  • संचयी (Cumulative) बनाम गैर-संचयी (Non-Cumulative) FD: संचयी FD में ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ मिलता है, जिससे चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ होता है। गैर-संचयी FD में ब्याज नियमित अंतराल पर मिलता है। अपनी जरूरत के हिसाब से चुनें।

  • ऑटो-रिन्यूअल से सावधान: यदि आप ऑटो-रिन्यूअल का विकल्प चुनते हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपको उस समय की मौजूदा ब्याज दरें स्वीकार्य हों।

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