भारत स्टील 2025 मराठी समाचार: यदि आप भारत को स्टील की तरह मजबूत बनाना चाहते हैं, तो मिलकर काम करें, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उद्योग को बताया। वह इंडिया स्टील 2025 कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित करते हुए बोल रहे थे। पीटीआई के मुताबिक, इस भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को इस्पात की तरह मजबूत बनाने और लाभकारी बदलावों को गति देने के लिए देश को कच्चे माल को सुरक्षित करने के लिए वैश्विक साझेदारी को मजबूत करने की जरूरत है।
कच्चे माल की सुरक्षा एक बड़ी चिंता हैप्रधानमंत्री ने इस्पात उत्पादन बढ़ाने के लिए नई, अप्रयुक्त खदानों से लौह अयस्क का निष्कर्षण शुरू करने का भी आह्वान किया। इस्पात को एक उभरता हुआ क्षेत्र बताते हुए मोदी ने इसके उत्पादन को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जो विकास की रीढ़ है। उन्होंने नई प्रक्रियाएं अपनाने, नवाचार करने तथा कोयला आयात कम करने पर विचार करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कच्चे माल की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। हम अभी भी निकल, कोकिंग कोयला और मैंगनीज के लिए आयात पर निर्भर हैं। और इसीलिए हमें वैश्विक साझेदारियों को मजबूत करना होगा, आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित करना होगा तथा प्रौद्योगिकी को उन्नत करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
आरक्षित निधियों के बेहतर उपयोग के लिए विकल्प ढूंढे जाने चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को कोयला आयात कम करने के लिए कोयला गैसीकरण और अपने भंडारों के बेहतर उपयोग जैसे विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योग को भविष्य के लिए तैयार रहना चाहिए और नई प्रक्रियाओं, नए स्तरों और नए दायरे को अपनाना चाहिए। देश की इस्पात उत्पादन क्षमता को 2023-24 में 179 मिलियन टन से बढ़ाकर 2030 तक 300 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। साथ ही, इसी अवधि के दौरान प्रति व्यक्ति इस्पात खपत को मौजूदा 98 किलोग्राम से बढ़ाकर 160 किलोग्राम करने का लक्ष्य है।
इस्पात क्षेत्र के लिए नये अवसरमोदी ने कहा कि सड़क, रेलवे, हवाईअड्डों, बंदरगाहों और पाइपलाइनों में विकास की गति इस्पात क्षेत्र के लिए नये अवसर पैदा कर रही है। बड़ी परियोजनाओं की बढ़ती संख्या से उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात की मांग बढ़ेगी। प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत और चंद्रयान मिशन में प्रयुक्त स्टील का निर्माण स्थानीय स्तर पर किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की महत्वाकांक्षा निर्यात बाजार पर नजर रखते हुए आधुनिक और बड़े जहाज बनाने की है। ऐसे कार्यों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले स्टील की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब न केवल घरेलू विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है बल्कि वैश्विक नेतृत्व के लिए भी तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व अब भारत को उच्च गुणवत्ता वाले इस्पात के एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देखता है। उन्होंने इस्पात उत्पादन में विश्व स्तरीय मानकों को बनाए रखने और क्षमताओं में निरंतर सुधार करने के महत्व को दोहराया।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लॉजिस्टिक्स में सुधार, मल्टी-मॉडल परिवहन नेटवर्क विकसित करने और लागत कम करने से भारत को वैश्विक इस्पात केंद्र बनने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडिया स्टील क्षमताओं का विस्तार करने और विचारों को कार्यान्वयन योग्य समाधानों में बदलने के लिए एक मंच प्रदान करता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए अपने संबोधन का समापन किया तथा एक लचीले, क्रांतिकारी और इस्पात-मजबूत भारत के निर्माण के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया।
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