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माता-पिता सावधान! सोशल मीडिया आपके बच्चों को पहुँचा रहा है भारी नुकसान, AI डीपफेक का बढ़ा खतरा

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माता-पिता सावधान! सोशल मीडिया आपके बच्चों को पहुँचा रहा है भारी नुकसान, AI डीपफेक का बढ़ा खतरा

ब्रिटेन में बड़ी चेतावनी: सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए बढ़े गंभीर खतरे, AI डीपफेक बना नया सिरदर्द

ब्रिटेन से एक गंभीर चेतावनी जारी की गई है: सोशल मीडिया पर बच्चों की सुरक्षा अब पहले से कहीं ज़्यादा जोखिम में है। यूके के संचार नियामक ऑफकॉम (Ofcom) ने माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्मों के उपयोग को लेकर ‘गहराई से चिंता’ व्यक्त की है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़े डीपफेक का उदय और बच्चों के यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material – CSAM) में तेजी ऑनलाइन खतरों की गंभीरता को बढ़ा रही है।

एक नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले शिकारी (online predators) वित्तीय संकट का लाभ उठाकर बच्चों का शोषण कर रहे हैं। वे झूठे अवसरों या भावनात्मक दबाव का उपयोग कर बच्चों को ब्लैकमेल करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया के एल्गोरिदम जानबूझकर हानिकारक सामग्री को बच्चों के फ़ीड में धकेल रहे हैं, जिसमें आत्महत्या से संबंधित सामग्री, ईटिंग डिसऑर्डर (खान-पान संबंधी विकार) को बढ़ावा देने वाला कंटेंट और जुए से संबंधित विज्ञापन शामिल हैं। यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।

ऑफकॉम ने कहा है कि AI तकनीक के ज़रिए बनाई गई “डीपफेक” सामग्री में भयानक वृद्धि हुई है, जिसका इस्तेमाल बच्चों के यौन शोषण सामग्री के उत्पादन और गैर-सहमति वाली अंतरंग छवियों के प्रसार के लिए किया जा रहा है। यह प्रवृत्ति चिंताजनक है, क्योंकि इन फेक इमेजेस को असली मानना और इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।

बच्चों पर सोशल मीडिया के कई नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं:

  • मानसिक स्वास्थ्य: लगातार स्क्रॉलिंग, सामाजिक तुलना और साइबरबुलिंग (cyberbullying) से चिंता, अवसाद और आत्मसम्मान में कमी हो सकती है।

  • नींद में कमी: देर रात तक सोशल मीडिया का उपयोग बच्चों की नींद के पैटर्न को बाधित करता है।

  • यौन शोषण और शोषण: शिकारी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म और मैसेजिंग ऐप पर बच्चों को फंसाने की कोशिश करते हैं।

ब्रिटेन की तकनीकी मंत्री मिशेल डोनलन (Michelle Donelan) ने इसे एक “असाधारण चेतावनी” बताते हुए कहा कि बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऑनलाइन सुरक्षा अधिनियम (Online Safety Act) के तहत नियमों को जल्द ही लागू किया जाएगा, जिसके तहत तकनीकी कंपनियों को बच्चों की सुरक्षा के लिए जवाबदेह ठहराया जाएगा और अनुपालन न करने पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

विपक्ष की शैडो कल्चर सेक्रेटरी लुसी पॉवेल (Lucy Powell) ने बच्चों को हो रहे इस नुकसान को “एक महामारी” करार दिया है और सरकार से तेज़ी से कदम उठाने की मांग की है। वहीं, NSPCC जैसे बाल संरक्षण संगठनों ने तकनीकी कंपनियों से मजबूत आयु सत्यापन (age verification) और सक्रिय रूप से हानिकारक सामग्री को हटाने का आग्रह किया है।

माता-पिता से अपील की गई है कि वे अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखें, मजबूत parental controls का उपयोग करें, और अपने बच्चों से ऑनलाइन सुरक्षा के खतरों के बारे में खुलकर बात करें। ऑनलाइन दुनिया में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है।

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