नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 14 दिन बिताने वाले हैं। शुभांशु शुक्ला को इसरो ने गगनयान मिशन के लिए चुना था। फिर इसरो ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत उनको आईएसएस भेजने का फैसला किया। आईएसएस में अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला कई प्रयोग करने वाले हैं। इसरो ने शुभांशु शुक्ला के लिए 7 प्रयोग तय किए हैं। इनके अलावा शुभांशु शुक्ला को अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए भी 5 प्रयोग करने हैं। इस बीच, शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने बेटे की अंतरिक्ष यात्रा पर खुशी जताई है। सुनिए शुभांशु शुक्ला की मां ने क्या कहा।
#WATCH | Group Captain Shubhanshu Shukla's mother, Asha Shukla, says, "It is a moment of pride for us and everyone else. Posters are being put up everywhere. Everyone is delighted that a man from this country, this Triveni Nagar, is going to soar so high...We are sending all our… https://t.co/S7TZmuadww pic.twitter.com/eqVXTDPthv
— ANI (@ANI) June 25, 2025
आईएसएस पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण होता है। इसी सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में शुभांशु शुक्ला मेथी और मूंग को अंकुरित करने का प्रयोग करेंगे। शुभांशु शुक्ला इन बीजों का आईएसएस पर अंकुरण कराएंगे और फिर उनको धरती पर वापस भी लाएंगे। जहां देखा जाएगा कि अंतरिक्ष के सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मेथी और मूंग के पौधे किस तरह उगे। फिर उनको जमीन पर उगाने की भी योजना है। इसके अलावा शुभांशु शुक्ला नासा की ओर से अंतरिक्ष के मानव जीवन पर असर संबंधी प्रयोगों में भी हिस्सा लेंगे। कुल मिलाकर आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला काफी व्यस्त रहने वाले हैं। नासा ने बताया है कि आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला व तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाला स्पेसएक्स का ड्रैगन यान 26 जून को भारतीय समय के मुताबिक शाम 4.30 बजे जुड़ेगा।
शुभांशु शुक्ला के साथ ड्रैगन यान से हंगरी से पैगी व्हिटसन होंगी। पैगी को मिशन कमांडर बनाया गया है। जबकि, शुभांशु शुक्ला इस मिशन के पायलट हैं। इन दोनों के अलावा टिबोर कापू और स्लावेज उज्नास्की विस्नीवस्की भी ड्रैगन यान में बैठकर आईएसएस पहुंचेंगे। इसरो ने शुभांशु शुक्ला को आईएसएस भेजने और ट्रेनिंग दिलाने के लिए 550 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। शुभांशु शुक्ला को इस मिशन से गगनयान के यात्री के तौर पर अंतरिक्ष जाने में भी मदद मिलने वाली है। इसरो को भी शुभांशु शुक्ला के मिशन से गगनयान के लिए और जरूरी चीजों की जानकारी मिल सकेगी। शुभांशु शुक्ला का मिशन पहले 29 मई को आईएसएस जाना था। इसे टालकर 8, 10 और 11 जून किया गया। फिर 19 जून और 22 जून की तारीख तय हुई, लेकिन तमाम तकनीकी खराबियों के कारण मिशन लगातार टलता रहा।
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