वायरल: भारत और यूरोप के कार्यस्थल के माहौल में एक महत्वपूर्ण भिन्नता है। इसका एक उदाहरण एक भारतीय इंजीनियर ने साझा किया है, जो पेरिस में कार्यरत हैं। उनका नाम अखिलेश है। जब उन्हें छुट्टी की आवश्यकता थी, तो उन्होंने अपने प्रबंधक से अनुमति मांगी। उनके प्रबंधक का उत्तर अद्भुत था, जो भारत में कम ही देखने को मिलता है।
यूरोप में छुट्टी लेने का सरल नियम
अखिलेश ने बताया कि जब उन्होंने अपने यूरोपीय प्रबंधक से छुट्टी के लिए अनुमति मांगी, तो प्रबंधक ने कहा, "आपको छुट्टी के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। यह आपके अनुबंध का हिस्सा है। बस मुझे पहले से सूचित कर दें।" इस उत्तर ने अखिलेश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि यूरोप में कर्मचारियों के अधिकारों का कितना सम्मान किया जाता है।
भारत में छुट्टी लेना कठिन
अखिलेश ने भारत में छुट्टी लेने के अपने अनुभव को याद किया। उन्होंने बताया कि भारत में छुट्टी के लिए पहले प्रबंधक को आवेदन देना पड़ता था। इसके बाद कई बार ईमेल के माध्यम से अनुस्मारक भेजने पड़ते थे। कभी-कभी तो प्रबंधक से अनुरोध करना पड़ता था कि छुट्टी को मंजूरी दे दी जाए। यह प्रक्रिया कर्मचारियों के लिए तनावपूर्ण हो सकती है।
when i started working in europe, i remember how i requested for leave approval from my manager and he was like 'no, you just inform me with reasonable notice. it's part of our contract, not something i grant'
— akhilesh (@akhileshutup) May 2, 2025
in india, I had to apply for approval, then remind him to grant the…
अखिलेश की इस कहानी ने सोशल मीडिया पर चर्चा को जन्म दिया। लोग भारत और यूरोप की कार्यसंस्कृति की तुलना करने लगे। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "भारत में स्कूल के समय से ही हमें छुट्टी के लिए आवेदन पत्र लिखना सिखाया जाता है। यह आदत बड़े होने पर भी बनी रहती है।"
हालांकि, कुछ लोगों ने बताया कि भारत में नई पीढ़ी के साथ यह संस्कृति बदल रही है। कई युवा प्रबंधक अब कर्मचारियों को छुट्टी के लिए पहले से अनुमति लेने के बजाय केवल सूचना देने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे रहे हैं।
काम के घंटों में भी अंतर
यूरोप और भारत में काम के घंटों में भी एक बड़ा अंतर है। फ्रांस में सप्ताह में 35 घंटे काम करने का नियम है। यदि कोई कर्मचारी इससे अधिक काम करता है, तो उसे ओवरटाइम का भुगतान मिलता है। वहीं, भारत में कोई निश्चित घंटों की सीमा नहीं है। सामान्यतः कर्मचारी सप्ताह में 45 घंटे काम करते हैं, लेकिन कई बार इससे अधिक काम करना पड़ता है और ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं मिलता।
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