हाल ही में, पुणे के एक रहने वाले के सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने ऑनलाइन एक बड़ी बहस छेड़ दी। पोस्ट ने एजुकेशन सिस्टम, खासकर बच्चों पर होमवर्क के प्रेशर को लेकर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने न सिर्फ स्कूलों द्वारा दिए जाने वाले भारी होमवर्क की बुराई की, बल्कि यह भी कहा कि “स्कूल बेकार हैं”। नितिन एस. धर्मावत का कहना है कि स्कूलों का पहला काम बच्चों की नैचुरल जिज्ञासा को दबाना और उन्हें बेवजह स्ट्रेस में डालना है।
उनका मानना है कि मौजूदा एजुकेशन सिस्टम बच्चों को किताबी ज्ञान तक ही सीमित कर रहा है, जबकि उन्हें प्रैक्टिकल लाइफ स्किल्स और क्रिएटिविटी सीखने की ज़रूरत है। इस पोस्ट में, उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चों को होमवर्क के दलदल से आज़ाद करने और उन्हें खेल, कला और उनकी पसंद की एक्टिविटीज़ के लिए समय देने की अपील की। तभी उनका असली डेवलपमेंट हो पाएगा। इस वायरल पोस्ट ने लाखों लोगों को यह सवाल करने पर मजबूर कर दिया कि क्या आज के स्कूल सच में बच्चों के लिए बोझ बनते जा रहे हैं।
इंटरनेट बंटा हुआ
इस पोस्ट ने सोशल मीडिया की दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया। कुछ यूज़र्स ने नितिन की बातों का ज़ोरदार सपोर्ट किया। ये यूज़र्स अक्सर अपने बच्चों के होमवर्क के बोझ से जूझते हैं और मानते हैं कि स्कूल के बाद उन्हें घंटों ट्यूशन देना उनकी मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक है। वे इस बात पर सहमत थे कि होमवर्क अक्सर बेकार होता है और यह सिर्फ़ माता-पिता को यह दिखाने के लिए होता है कि स्कूल में कितना काम हो रहा है। हालाँकि, इस बात की शिक्षकों और कई माता-पिता ने कड़ी आलोचना की।
You may also like
चाणक्य नीति: किन लोगों की मदद से बचना चाहिए?
जहरीले सांप होते हैं ये 3 लोग, ये मर भी` रहे हो तो इनकी मदद मत करना
जापानी महिलाएं क्यों जी रही हैं 100 साल से ज्यादा?` रहस्य जानकर आप चौंक जाएंगे
Reels के लिए माँ-बाप ने पार की शर्म की हदें` बच्चा बना अश्लील कॉन्टेंट का हिस्सा इंटरनेट पर मचा गुस्सा
भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ लक्ष्मी पूजन कर प्रदेश की सुख—समृद्धि और खुशहाली की करेंगे कामना