धेडू में ईंट भट्ठे की दीवार गिरने से मलबे में दबकर मजदूर ईश्वर (27) और रोहित (17) की मौत हो गई। हादसे के बाद पास के भट्टों से मजदूर भी मलबा हटाने पहुंचे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। जेसीबी के आने में भी देरी हुई। परिवारों के आंसुओं ने सैकड़ों लोगों को दुःख से भर दिया। उन्होंने अव्यवस्था पर भी रोष व्यक्त किया।
मथुरा से मजदूर प्रतिदिन लगभग नौ किलोमीटर की यात्रा कर काम पर जाते हैं। बुधवार सुबह छह बजे जब दीवार गिरी तो आवाज दूर-दूर तक फैल गई। मथुरा निवासी रविन्द्र सिंह अपने परिवार के साथ पास के ही एक अन्य भट्टे पर मजदूरी करते थे। वह अपने पिता कर्ण सिंह व अन्य मजदूरों के साथ मौके पर पहुंचे और मलबा हटाने का प्रयास किया।
रोते हुए मजदूर ने कहा कि यहां राहत और बचाव कार्य अपर्याप्त थे। काफी मशक्कत के बाद मलबे में दबे दोनों लोगों को बाहर निकाल लिया गया, लेकिन दो साथियों की जान नहीं बचाई जा सकी। जेसीबी भी बहुत देर से पहुंची। घायल पिंकू ने बताया कि हादसा कमजोर दीवारों के कारण हुआ।
माँ ने रोते हुए कहा, "मुझे मेरा बेटा चाहिए।"
हादसे के बाद मृतक ईश्वर की मां सुनीता और रोहित की मां ओमकली के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। वह बिस्तर पर पड़े शवों के पास बैठ कर रोने लगी। कुछ महिलाओं ने उसे सांत्वना देने की कोशिश की। मृतक ईश्वर के पांच मासूम बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटियां हैं। दोनों माताएं रो पड़ीं और कहा कि वे अपने बेटों को वापस चाहती हैं।
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