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भारत का अजब-गजब विष्णु धाम! जहाँ स्थित कुंड में भारी बर्फ़बारी में भी स्वयं उबलता रहता है पानी, वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

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कल्पना कीजिए, आप बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच हैं, जहां हवा बर्फीली ठंडी है, तापमान शून्य से नीचे है और वहीं, एक कुंड में खौलता हुआ पानी भरा हुआ है। न धुआं, न आग... फिर भी पानी उबलता है। यह उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में स्थित 'तप्त कुंड' है, जो सिर्फ गर्म पानी का स्रोत नहीं है, बल्कि आस्था, रहस्य और चमत्कार का संगम है। यहां के जल को छूते ही शरीर ही नहीं, आत्मा भी पवित्र हो जाती है।

तप्त कुंड कहां स्थित है?
तप्त कुंड भारत के प्रमुख तीर्थस्थल बद्रीनाथ मंदिर के ठीक नीचे अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में समुद्र तल से करीब 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बद्रीनाथ धाम की पवित्र सीढ़ियां चढ़ने से पहले हर श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करता है।

यहां अग्निदेव का वास है
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, तप्त कुंड को अग्निदेव का निवास माना जाता है। मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने बद्रीनाथ में कठोर तप किया था, तो उन्होंने अग्निदेव को इस कुंड में निवास करने का आदेश दिया था, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु पहले स्नान करके आध्यात्मिक और शारीरिक शुद्धता प्राप्त करें और फिर भगवान के दर्शन करें। भक्तों का मानना है कि इस कुंड का पानी कई चमत्कारी गुणों से भरपूर है। यह पानी खास तौर पर त्वचा संबंधी रोगों में औषधि का काम करता है और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जहां पूरा इलाका बर्फ से ढका रहता है, वहीं यह पानी हमेशा गर्म रहता है। 

रोचक कहानियां और चमत्कार 
1. नारद मुनि की तपस्या: एक अन्य कथा के अनुसार नारद मुनि ने तप्त कुंड में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर अग्निदेव स्वयं जल में प्रकट हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। 
2. हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी गर्म पानी: जब चारों ओर बर्फ जम जाती है, तब भी तप्त कुंड का पानी उबलता रहता है। वैज्ञानिक इसे भूगर्भीय गर्मी का परिणाम मानते हैं, लेकिन श्रद्धालु इसे दैवीय ऊर्जा का प्रतीक मानते हैं। 
3. सप्त ऋषियों की तपस्थली: पुराणों में उल्लेख है कि सप्त ऋषियों ने भी यहां आकर स्नान किया था और यहीं से उन्होंने अपनी साधना की सर्वोच्च अवस्था प्राप्त की थी। तब से लेकर आज यह स्थान आस्था का केंद्र बन गया है। अगर आप बद्रीनाथ पहुंच रहे हैं तो एक बार इस कुंड में स्नान जरूर करें।

आस्था की लौ आज भी जिंदा है

तप्त कुंड न केवल गर्म पानी का स्रोत (हॉट वॉटर स्प्रिंग) है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक परंपरा का जीता जागता सबूत है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां सिर्फ स्नान के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। उनका मानना है कि इस कुंड में डुबकी लगाने से न सिर्फ शरीर बल्कि आत्मा भी शुद्ध होती है। अगर आप हिमालय की गोद में बसी देवभूमि के दिव्य रहस्यों को जानना चाहते हैं तो तप्त कुंड जरूर जाएं। यहां का अनुभव सिर्फ आंखों से देखने वाला नहीं, बल्कि आत्मा से महसूस करने वाला है।

तप्त कुंड तक कैसे पहुंचें?

तप्त कुंड तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको बद्रीनाथ धाम पहुंचना होगा, जो पूरे देश से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और यहां पहुंचने का सबसे सुविधाजनक तरीका ऋषिकेश, श्रीनगर और जोशीमठ है। इन मार्गों से निजी वाहन, टैक्सी और उत्तराखंड परिवहन की बसों द्वारा आसानी से बद्रीनाथ पहुंचा जा सकता है। अगर आप रेल से यात्रा करना चाहते हैं, तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है, जो बद्रीनाथ से लगभग 293 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आगे की यात्रा सड़क मार्ग से करनी होती है।

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