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गृह क्लेश और बार-बार बीमारियों से परेशान हैं तो करे गणेश के इस महाशक्तिशाली मंत्र का जाप, वीडियो में जाने पाठ विधि और सही समय

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भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है- यानी सभी तरह की बाधाओं, विघ्नों, रोगों और कष्टों को दूर करने वाले देवता। कोई भी शुभ कार्य हो, कोई नई शुरुआत हो या जीवन में शांति और सफलता की कामना हो- सबसे पहले श्री गणेश को याद किया जाता है। ऐसे में अगर घर में अशांति हो, बार-बार झगड़े हों या बार-बार बीमारियाँ हों तो गणेश अष्टकम मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी माना जाता है।गणेश अष्टकम एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान गणेश के आठ रूपों की महिमा का गुणगान करता है। यह न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि मानसिक शांति, ऊर्जा और सकारात्मकता का भी स्रोत है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक शक्ति देता है, बल्कि यह वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुका है कि मंत्रों के नियमित जाप से मानसिक तनाव कम होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।'

गणेश अष्टकम मंत्र क्या है?
गणेश अष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें आठ श्लोकों में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों, रूपों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसकी रचना आदि शंकराचार्य ने की थी, जिनकी कृतियाँ भारतीय धर्म-दर्शन की अमूल्य धरोहर मानी जाती हैं।यह स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा पाने और जीवन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए बहुत कारगर माना जाता है। इसमें गणेश जी के सौम्य, वीर, बुद्धिमान और दयालु स्वरूप की स्तुति की गई है।

यह घरेलू परेशानियों और बीमारियों से कैसे मुक्ति दिलाता है?
आज के समय में जब जीवन भागदौड़ से भरा हुआ है, तनाव और पारिवारिक कलह आम बात होती जा रही है। इसके साथ ही शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ भी बढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में शास्त्रों और परंपराओं में बताए गए उपाय संतुलन बनाने में मददगार हो सकते हैं।

गणेश अष्टकम का जाप करने से:
मन में शांति और संतुलन आता है, जिससे क्रोध और विवाद की प्रवृत्ति कम होती है।
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और शांत होता है।
नकारात्मक विचारों, भय और तनाव से मुक्ति मिलती है, जो कई मानसिक बीमारियों का मूल कारण हैं।


नियमित जाप से एकाग्रता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति को अपने निर्णयों में स्पष्टता और धैर्य मिलता है।
यह वास्तु दोष और ग्रह दोष से होने वाली समस्याओं से भी मुक्ति दिलाता है, क्योंकि गणेशजी को "वास्तु देवता" भी माना जाता है।

जाप की विधि और सही समय
गणेश अष्टकम मंत्र का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार, गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के दिन इसका विशेष महत्व है।

जाप की विधि:
सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।


घर के पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
लाल फूल, दूर्वा और मोदक चढ़ाएं।
फिर शुद्ध उच्चारण के साथ पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ गणेश अष्टकम का पाठ करें।
संभव हो तो यह जाप लगातार 21 दिन या 40 दिन तक करें। इससे न केवल आपको मानसिक और आध्यात्मिक लाभ मिलेगा, बल्कि घर के वातावरण में भी सुख-शांति का भाव रहेगा।

क्या कहता है आधुनिक विज्ञान?
भले ही गणेश अष्टकम एक धार्मिक ग्रंथ है, लेकिन इसके नियमित पाठ से उत्पन्न ध्वनि तरंगें और मंत्र कंपन मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। शोध से यह साबित हुआ है कि नियमित मंत्र जाप से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन "कॉर्टिसोल" की मात्रा कम होती है और मानसिक शांति मिलती है। यही कारण है कि आज योग और ध्यान विधियों में भी मंत्रों का प्रयोग बढ़ रहा है।

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