पेशावर में जब पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच दूसरे दिन का खेल खत्म हुआ तो ऑस्ट्रेलिया ने 4 विकेट पर 599 रन बना लिए थे। कंगारू कप्तान मार्क टेलर 334 रन बनाकर बल्लेबाजी कर रहे थे, जबकि रिकी पोंटिंग 76 रन बनाकर नाबाद थे। मैच के तीसरे दिन पूरी दुनिया की नजर टेलर पर थी, क्योंकि उस समय बतौर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड सर डॉन ब्रैडमैन के नाम था और टेलर ने स्टंप तक इस रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी। सभी को लग रहा था कि टेलर अगले दिन उस रिकॉर्ड को तोड़ देंगे और क्रिकेट में नया कीर्तिमान रच देंगे, लेकिन जब तीसरे दिन का खेल शुरू हुआ तो कुछ ही मिनटों के बाद टेलर ने ऐसा फैसला सुनाया जिसने सभी को हैरान कर दिया।
वे बल्लेबाजी करने उतरे, लेकिन कुछ ही मिनटों के बाद स्कोर में कोई बदलाव किए बिना पारी घोषित कर दी। वे महान ब्रैडमैन का रिकॉर्ड बचाना चाहते थे। उन्हें खुशी थी कि स्कोर बराबर हो गया। वे रिकॉर्ड और नाम दोनों को बांटना चाहते थे। उनका विचार था कि अगर मैं आगे बढ़ता तो कोई रिकॉर्ड तोड़ देता, लेकिन अगर मैं उसी स्कोर पर रहता तो मेरा नाम सर डॉन ब्रैडमैन के साथ लिया जाता, जो अपने आप में सबसे बड़ा सम्मान है। यह संभव है कि अगर वह बल्लेबाजी कर रहे होते तो 400 रन बना चुके होते। ...और अब वियान मुल्डर ने मार्क टेलर की श्रद्धांजलि से भी बड़ी रेखा खींच दी है।
दरअसल, दक्षिण अफ्रीका के कार्यवाहक कप्तान वियान मुल्डर अगले दिन जिम्बाब्वे के खिलाफ खेल रहे थे, लंच तक 367 रन बना चुके थे और सभी को लग रहा था कि वह अब किसी भी दिन 34 रन बनाकर ब्रायन लारा का सर्वोच्च रिकॉर्ड तोड़ देंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने मार्क टेलर की तरह ही अपनी पारी घोषित की। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ब्रायन लारा के नाबाद 400 रन के रिकॉर्ड के करीब होने के बावजूद अपनी पारी घोषित करने का फैसला किया, क्योंकि उनका मानना था कि वेस्टइंडीज के दिग्गज 'रिकॉर्ड बनाने के हकदार हैं।' मुल्डर ने जिम्बाब्वे के खिलाफ दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन 367 रनों की नाबाद पारी खेली, लेकिन टीम की पारी 626 पर घोषित कर दी, जो लारा के ऐतिहासिक रिकॉर्ड को तोड़ने से सिर्फ 34 रन कम है। मुल्डर ने दिन के खेल के बाद कहा, "सबसे पहले, मुझे लगा कि हमारे पास पर्याप्त रन हैं और हमें गेंदबाजी करने की जरूरत है। दूसरा, ब्रायन लारा एक लीजेंड हैं। उनके कद का व्यक्ति इस रिकॉर्ड को बनाए रखने का हकदार है।" उन्होंने कहा, "अगर मुझे फिर से ऐसा करने का मौका मिला, तो मैं निश्चित रूप से ऐसा करूंगा। मैंने शुक्स (शुकरी कॉनराड) से बात की और उन्हें भी ऐसा ही लगा। ब्रायन लारा एक महान खिलाड़ी हैं और वे इस रिकॉर्ड को बनाए रखने के हकदार हैं।" लारा टेस्ट पारी में 400 रन बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं। उन्होंने यह स्कोर 2004 में एंटीगुआ में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था।
लोग कह सकते हैं कि मुल्डर ने अपने जीवन का सबसे बड़ा मौका गंवा दिया। ऐसा मौका जीवन में एक बार ही आता है और वह भी हर किसी के नसीब में नहीं होता। मुल्डर उस रिकॉर्ड के करीब थे। उन्हें इसे तोड़ने की कोशिश करनी चाहिए थी। वह उस मैच में कप्तान भी हैं, इसलिए उन्हें कोई नहीं रोक सकता था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह उस खिलाड़ी के प्रति सम्मान की भावना है, जिसने अपनी बल्लेबाजी से दुनिया को जीत लिया। यह इस खेल के प्रति सम्मान की भावना है, जिसे दिग्गजों का खेल कहा जाता है। एक तरफ जहां कई महान सितारों पर रिकॉर्ड के लिए खेलने का खुलेआम आरोप लगता है, वहीं दूसरी तरफ मुल्डर के रिकॉर्ड न तोड़ने के फैसले ने उन्हें क्रिकेट में अमर कर दिया। जब भी इस खेल की चर्चा होगी, मुल्डर का नाम जरूर चर्चा में आएगा।
हम उस दौर में जी रहे हैं, जब विश्व कप का फाइनल दो बार बराबरी पर रहा, क्रिकेट के संस्थापक माने जाने वाले अंग्रेजों में यह कहने की हिम्मत नहीं थी कि चलो एक और सुपर ओवर हो जाए, दुनिया उन्हें बाउंड्री के आधार पर जीतने के लिए ताना मारेगी। वे बदनामी झेलने के लिए तैयार थे। हम उस दौर में जी रहे हैं, जहां देश की हार का मातम मनाने की बजाय हम अपने पसंदीदा खिलाड़ी के एक ही मैच में शतक का जश्न मनाते हैं। हम रिकॉर्ड के लिए जीते हैं और जीवन भर खेल में बनाए गए रिकॉर्ड के बारे में बात करते हैं और उसी से महानता का अंदाजा लगाते हैं। उनके लिए व्यक्तित्व महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसे समय में मुल्डर के अनोखे फैसले, अद्भुत खेल भावना और जिंदादिली ने सबको सहमत कर दिया है। शायद हर बल्लेबाज ब्रायन लारा के महान रिकॉर्ड को तोड़ना चाहेगा, लेकिन इतने बड़े मौके को हाथ से जाने देने की हिम्मत सिर्फ मुल्डर में है। यह फैसला धर्म से ऊपर है, विचारों से परे है और यह खेल क्रिकेट के माथे पर तिलक की तरह है, जो दुनिया भर के लाखों-करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का सबसे बड़ा कारण है। जब भी खेलों की बात होगी, मुल्डर को एक परिभाषा के तौर पर याद किया जाएगा। उनके नाम को मिसाल बनाया जाएगा। उनके नाम पर कसमें खाई जाएंगी। कौन जानता है कि मुल्डर अपने जीवन में कितने रन बनाएंगे, कितने रिकॉर्ड तोड़ेंगे, कितने विश्व कप जीतेंगे, लेकिन उन सभी की चमक इस फैसले के सामने सूरज के सामने एक दीये की तरह होगी।
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