नई दिल्ली, 19 अगस्त (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देश में बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं, विशेषकर बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से निपटने के लिए केंद्र सरकार व्यापक रणनीति तैयार कर रही है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में अब केवल राहत कार्यों पर निर्भर रहने के बजाय बचाव और रोकथाम को प्राथमिकता दी जा रही है।
शाह मंगलवार को यहां ‘आपदा प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण’ विषय पर गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बंडी संजय कुमार के अलावा समिति के सदस्य, केंद्रीय गृह सचिव तथा एनडीएमए, एनडीआरएफ, एनआईडीएम और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
गृह मंत्री ने कहा कि 2014 से पहले आपदा प्रबंधन का दृष्टिकोण राहत-केंद्रित था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे बचाव और रोकथाम-केंद्रित बनाया। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई नीतिगत और संस्थागत बदलाव किए गए हैं, जिससे आपदाओं के दौरान जनहानि में उल्लेखनीय कमी आई है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 1999 में ओडिशा चक्रवात में जहां 10,000 लोगों की जान गई थी, वहीं हाल के वर्षों में आए चक्रवात ‘बिपरजॉय’ और ‘दाना’ में शून्य हताहत हुए।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के चार स्तंभ—क्षमता निर्माण, तीव्रता, दक्षता और सटीकता—पर केंद्रित नीति के परिणामस्वरूप चक्रवातों से होने वाले नुकसान में 98 प्रतिशत तक कमी आई है। इसी तरह, हीट वेव से होने वाले नुकसान में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
गृह मंत्री ने जानकारी दी कि 2004 से 2014 के बीच एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को 66 हजार करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि 2014 से 2024 के दौरान यह राशि बढ़ाकर दो लाख करोड़ रुपये कर दी गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए एसडीआरएफ के लिए 1.28 लाख करोड़ रुपये और एनडीआरएफ के लिए 54,770 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (एनडीएमएफ) और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (एसडीएमएफ) के लिए क्रमशः 13,693 करोड़ और 32,031 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
शाह ने कहा कि आपदा प्रभावित राज्यों में अंतर-मंत्रालयी केन्द्रीय दल भेजने की औसत अवधि 96 दिन से घटकर अब केवल आठ दिन रह गई है। पिछले दस वर्षों में औसतन आठ दिन की अवधि में ही 83 केंद्रीय दल राज्यों में भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि एनडीएमए ने तकनीक और नीति निर्माण में अहम योगदान दिया है, जबकि एनडीआरएफ ने इन्हें जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया है।
गृह मंत्री ने राष्ट्रीय चक्रवात जोखिम न्यूनीकरण परियोजना (एनसीआरएमपी) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत बहुद्देशीय आश्रयों का निर्माण और हजारों सामुदायिक स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण कराया गया है। पांच तटीय राज्यों में पूर्व चेतावनी प्रणालियां स्थापित की गई हैं, जिनसे चक्रवातों के दौरान लोगों की जान बचाने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि सरकार सामुदायिक स्तर पर भी क्षमता निर्माण पर बल दे रही है। ‘आपदा मित्र’ और ‘युवा आपदा मित्र’ योजनाओं के तहत देश के 350 जिलों में एक लाख से अधिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया गया है। अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 5,000 करोड़ रुपये की योजना भी शुरू की गई है।
शाह ने कहा कि पहली बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर शमन कोष का गठन किया गया है। एनडीएमएफ के अंतर्गत 8,072 करोड़ रुपये के आवंटन से अनेक परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली में उल्लेखनीय प्रगति की है। अब मौसम विभाग और केंद्रीय जल आयोग बाढ़ और चक्रवातों का सात दिन पहले सटीक पूर्वानुमान देने में सक्षम हैं। लोगों तक अलर्ट पहुंचाने के लिए कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल (सीएपी) आधारित प्रणाली लागू की गई है।
गृह मंत्री ने ‘सचेत ऐप’ का व्यापक प्रचार-प्रसार करने की अपील की और कहा कि आपदाओं से बचाव के लिए जिला और ग्राम पंचायत स्तर तक जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। उन्होंने समिति के सदस्यों को आश्वस्त किया कि आपदाओं से संबंधित सभी जानकारी, गाइडलाइन और केंद्र द्वारा राज्यों को जारी निधियों का ब्यौरा सांसदों को उपलब्ध कराया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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