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वन भूमि पर बना ईटरनिटी और अलेक्सा रिजॉर्ट, डीएफओ की चिट्ठी के बाद भी नहीं हुई जांच

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8 महीने के बाद भी वन विभाग को नहीं मिला जवाब

रामगढ़, 9 सितंबर (Udaipur Kiran) ।

झारखंड में पतरातू अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है। पर्यटन विभाग की ओर से इस क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। लेकिन कुछ भू-माफिया और पूंजीपति इन खूबसूरत वादियों में अपनी कमाई का जरिया ढूंढ रहे हैं। पतरातू प्रखंड के ताराटांड़ और हरिहरपुर में बनाए गए अलेक्सा और ईटरनिटी रिजॉर्ट ने वन संरक्षण अधिनियम को ही ताक पर रख दिया है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि कई एकड़ में फैले यह दोनों रिजॉर्ट सरकारी नियमों की अनदेखी कर अपना व्यापार बढ़ा रहे हैं।

स्थल जांच के बाद उजागर हुई थी कई कमी

रामगढ़ वन प्रमंडल पदाधिकारी नीतीश कुमार ने तालाटांड और हरिहरपुर में बने ईटरनिटी और अलेक्सा रिसोर्ट का स्थल जांच किया था। जांच के दौरान यह पाया गया था कि दोनों रिसोर्ट का निर्माण जिस भूमि पर किया गया है। वह सर्वे में जंगल झाड़ी चिह्नित भूमि है। सैटेलाइट इमेज पर सुपर इंपोज्ड सर्वे एवं वन सीमांकन रेखा दर्शाते हुए नक्शा भी वन विभाग ने तैयार किया था।

डीसी को चिट्ठी लिखकर चार बिंदुओं पर जांच की रखी थी मांग

डीएफओ नीतीश कुमार ने 16 जनवरी 2025 को रामगढ़ डीसी को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने अनुरोध किया था कि ईटरनिटी और अलेक्सा रिजॉर्ट जिस भूमि पर अवस्थित है उसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। उन्होंने चार बिंदुओं पर डीसी का ध्यान आकर्षित कराया था। जांच रिपोर्ट के बाद ही हो सकता है स्पष्ट निर्णय

डीएफओ ने कहा था कि इन चार बिंदुओं पर जांच होनी चाहिए, ताकि उक्त भू-भाग पर निर्माण किए गए रिसोर्ट के वैधता के संपूर्ण जांच की जा सके। साथ ही इस निर्णय पर पहुंचा जा सके कि क्या यह निर्माण वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धाराओं का उल्लंघन करता है या नहीं। डीएफओ ने यह भी अनुरोध किया था कि इस संदर्भ में पूर्व में डीसी कार्यालय में कोई संबंधित जांच प्रक्रिया चल रही है या समाप्त हो चुकी है, तो उसकी भी समीक्षा करते हुए वन प्रमंडल कार्यालय को अवगत कराया जाए।

8 महीने के बाद भी वन विभाग को नहीं मिला जवाब

डीएफओ ने डीसी को 16 जनवरी 2025 को चिट्ठी लिखी थी लगभग 8 महीने बीत चुके हैं ।इसके बावजूद डीसी कार्यालय से वन प्रमंडल कार्यालय को कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल पाया है। डीएफओ नीतीश कुमार ने बताया कि उन दोनों रिजॉर्ट की जमीन वन क्षेत्र में पड़ती है। लेकिन जब तक जांच रिपोर्ट नहीं आ जाए कुछ भी स्पष्ट करना मुश्किल है।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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