सोनीपत, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । महायोगी उपाध्याय गुप्ति सागर महाराज ने रविवार को मंगलकारी
प्रवचनों में कहा कि चातुर्मास का अर्थ है ठहराव—यह वह समय होता है जब संपूर्ण
धरती जीवों की उत्पत्ति का केंद्र बन जाती है। श्रमण में परंपरा है कि इसी अवधि में
ऋषि-मुनि एवं संन्यासी एक ही स्थान पर ठहरकर आत्म-साधना करते हैं और सत्संग के माध्यम
से भक्तों को बुराइयों से बचने का मार्ग दिखाते हैं।
इन्हीं विचारों को महायोगी उपाध्याय गुप्ति सागर महाराज ने
पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, सेक्टर-15 में आयोजित 48वें पावन वर्षायोग स्थापना कार्यक्रम
में व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि रसायन विज्ञान के अनुसार चातुर्मास में साग-सब्जियों
का सेवन वर्जित है क्योंकि इनके माध्यम से शरीर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां जन्म
ले सकती हैं।
चातुर्मास के दौरान साधु-संत भक्तों के साथ मिलकर समाज और देश की समस्याओं
का समाधान भी तलाशते हैं।
इससे पूर्व सेक्टर-14 से एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें
चातुर्मास स्थापना कलश लेकर श्रद्धालु बैंडबाजों के साथ नाचते-गाते चले।
शोभायात्रा
मार्ग पर जगह-जगह श्रद्धालुओं ने गुप्ति सागर महाराज की आरती की। दीदी रंजना शास्त्री
ने मंगल पाठ का पाठ किया।
कार्यक्रम में मेयर राजीव जैन ने कहा कि 30 वर्षों बाद गुप्ति
सागर महाराज का चातुर्मास होना गौरव का विषय है। उपायुक्त सुनील सारवान ने उनके वचनों
को अमृत तुल्य बताया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य नागरिक व श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना
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