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संस्कारों, ज्ञान-विज्ञान और अस्तित्व की भाषा संस्कृत है : हिमांजय पालीवाल

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अहमदाबाद, 28 मई . संस्कृत भारती और स्वामीनारायण मंदिर, मणीनगर के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे संस्कृत भाषा शिक्षण वर्ग के उद्घाटन समारोह में अतिथि विशेष गुजरात राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष हिमांजय पालीवाल ने संस्कृत भाषा शिक्षण वर्ग में भाग लेने वाले समस्त नागरिकों को संस्कृत भाषा के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की संस्कारों की भाषा है, भारत के रक्त में यह भाषा प्रवाहित है और संस्कृति की भाषा अर्थात संस्कृत भाषा है. अतः संस्कृत भाषा के संरक्षण से ही भारतीय संस्कृति का संरक्षण संभव है, इसलिए हमें सभी देशवासियों को प्रयास करना चाहिए कि इस देश की मूल भाषा संस्कृत पुनः हमारी व्यवहारिक भाषा बने.

मणिनगर के स्वामीनारायण मंदिर परिसर में चल रहे शिविर में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कर्णावति महानगर के संघचालक महेश परिख़ ने कहा कि संस्कृत भाषा वेदों की भाषा है, ऋषियों की भाषा है और उन्होंने यह भी बताया कि वेद मंत्रों का सकारात्मक प्रभाव पांच किलोमीटर तक रहता है. इसलिए इस वैज्ञानिक भाषा संस्कृत का संरक्षण हमारा दायित्व है.

उद्घाटन समारोह के सभागृह में उपस्थित संस्कृत प्रेमियों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष जीतेंद्रप्रिय दास महाराज ने कहा कि संस्कृत हमारे शास्त्रों की भाषा है, हम संस्कृत नहीं जानते फिर भी यदि कोई अशुद्ध बोलता है तो हमें पता चल जाता है. हम संस्कृत बोल नहीं पाते यह बात हमारे लिए भी कष्टप्रद है. वर्ग के उद्घाटन समारोह में संस्कृतभारती गुर्जर प्रांत के सह मंत्री डॉ. वसंतभाई जोशी, कर्णावती विभाग संयोजक राजेन्द्र मेहता, कर्णावती विभाग सहसंयोजक निलेशभाई धानाणी और अन्य संस्कृतभारती के पदाधिकारी, कार्यकर्ता तथा महानगर के संस्कृत भाषा सीखने के लिए उत्सुक नगरवासी उपस्थित रहे.

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/ बिनोद पाण्डेय

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