लखनऊ, 19 अप्रैल . स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साईंसेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के संस्थापक व अध्यक्ष सतीश कुमार सिंह का निधन 73 वर्ष की आयु में उनके नोएडा स्थित आवास पर हो गया. उनके निधन से शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गयी. यह जानकारी शनिवार को स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साईंसेज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के निदेशक डॉ. आशीष भटनागर ने दी.
डॉ.आशीष ने बताया कि सतीश कुमार सिंह खाद्य एवं रसद विभाग, उ.प्र. से ज्वाइंट कमिश्नर पद से सेवा निवृत्त, मूलतः बस्ती के निवासी थे. सामाजिक सरोकार को ध्यान में रखकर सतीश सिंह के अथक प्रयासों से एसएमएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की नींव वर्ष 1995 में रखी गयी. इसी क्रम में वर्ष 2008 में एसएमएस लखनऊ की भी स्थापना की गयी. सतीश सिंह के अथक प्रयासों से उनके आध्यात्मिक शिक्षा के प्रति रूझान एवं छात्रों में इसकी आवश्यकता के फलस्वरूप एसएमएस लखनऊ में वैदिक विज्ञान केन्द्र के साथ-साथ छात्रों को इनोवेशन एवं अन्वेषण में दक्षता के लिए सर सी.वी. रमन सेन्टर की भी स्थापना की गयी. उन्हीं की परिकल्पना, विजन-2030 के क्रियान्वयन के फलस्वरूप एस.एम.एस. लखनऊ ने नैक ए$ एग्रीडिटेशन प्राप्त किया.
एस.एम.एस. लखनऊ संस्थान में आयोजित अन्तिम दर्शन सभा में संस्थान के महानिदेशक (तकनीकी) डॉ. भरतराज सिंह, निदेशक (प्रशासन) डॉ. जगदीश सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. धर्मेन्द्र सिंह, रजिस्ट्रार एस.एन. शुक्ला के साथ अधिष्ठातागण, समस्त विभागाध्यक्ष, शैक्षणिक, गैरशैक्षणिक स्टाफ ने सतीश सिंह को पुष्पांजलि अर्पित कर अन्तिम विदाई दी.
इस अवसर पर शहर के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों समाजसेवियों एवं मीडिया जगत के लोगों ने भी पुष्प अर्पित कर अन्तिम विदाई दी. संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं सतीश कुमार सिंह के पुत्र शरद सिंह के साथ-साथ सभी शोकाकुल परिवारीजनों को एस.एम.एस. परिवार ने सांत्वना दी. सतीश सिंह की अंत्येष्टि अयोध्या धाम में सरयू तट पर की गयी. एस.एम.एस. लखनऊ मैनेजमेंट ने इस अपूर्णीय क्षति पर तीन दिन का शोक घोषित किया.
/ मो0 महमूद
You may also like
हमास के हत्यारों के आगे सरेंडर नहीं करेंगे... नेतन्याहू ने गाजा में जंग जारी रखने की खाई कसम, ईरान के परमाणु बम पर कही ये बात
Kesari Chapter 2 Box Office: दूसरे दिन अक्षय और माधवन की फिल्म ने लगाई छलांग', कमा डाले इतने करोड़ रुपये
मनोविकार ग्रस्त नेता का सत्ता में आना खतरनाक!
Fourth House of Horoscope : आपके भाग्य में भूमि, भवन, वाहन का सुख है या नहीं, जानें जन्मकुण्डली के इस भाव से
Success Story: 78 साल की दादी बनाती हैं बच्चों के लिए लंगोट और मोजे, आज विदेशों में फैला कारोबार