-इसरो सम्मेलन में अंतरिक्ष विज्ञान की नई दिशा पर मंथन
देहरादून, 30 जून (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ‘मुख्य सेवक सदन’ में आयोजित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अंतरिक्ष सम्मेलन 2025 में चंपावत को मॉडल जिला बनाने के उद्देश्य से इसरो और यूकॉस्ट द्वारा विकसित डैशबोर्ड का शुभारंभ किया और इसरो की एक महत्वपूर्ण पुस्तक का विमोचन भी किया।
इस अवसर पर अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन, यूकॉस्ट महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत सहित देशभर से आए वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों की उपस्थिति रही।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर देश भर से आए वैज्ञानिकों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में यह सम्मेलन मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अनुसंधान तक सीमित न रहकर संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला द्वारा तिरंगा फहराने पर इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को बधाई दी और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुभांशु शुक्ला का मिशन गगनयान व भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगा।
मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और प्रदेश के सतत विकास में सहयोगी सिद्ध होगा।
इसरो चेयरमैन डॉ. वी नारायणन ने कहा कि 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था। 1963 से अब तक भारत ने 100 से अधिक रॉकेट लॉन्च किए हैं। 1975 तक हमारे पास अपने कोई सेटेलाइट नहीं थे, लेकिन अब भारत के पास अपने 131 सैटेलाइट हैं। इसरो द्वारा ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम पर कार्य किया जा रहा है। उस रॉकेट पर कार्य किये जा रहे हैं, जो पृथ्वी की लोवर ऑर्बिट पर 75 हजार किलो तक के सेटेलाइट को लॉन्च करेगा, जिसे करीब 27 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
इसरो चेयरमैन ने कहा कि एक समय था जब हमारे रॉकेट साइकिल से ले जाए करते थे, पर आज भारत ने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमने दुनिया में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणु की मौजूदगी का पता लगाया है। भारत पहला देश है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहली बार लैंड किया है। भारत, आदित्य एल-1 मिशन के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया है।
निदेशक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था। ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान सेटेलाइट के माध्यम से मैपिंग का और डेटा तैयार किया, जिसका प्रयोग बाद में राष्ट्रीय नीति में भी किया गया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट में इस डाटा का इस्तेमाल किया गया।
मुख्य सचिव आंनद बर्द्धन ने कहा कि इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने और कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्सयूशन की उपलब्ध इमेजरी को रिलय टाईम व गैर व्यावसायिक आाधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर.मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा, महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं वैज्ञानिक मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
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