कई घाटों का संपर्क टूटा, हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह में बढ़ी परेशानी
वाराणसी, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । बीते कुछ दिनों से लगातार बढ़ रहे गंगा के जलस्तर में फिलहाल स्थिरता देखी जा रही है, लेकिन उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हो रही बारिश के कारण एक बार फिर जलस्तर बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार सोमवार सुबह 8 बजे वाराणसी में गंगा का जलस्तर 62.98 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से अभी काफी नीचे है। हालांकि, गाजीपुर में गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है जबकि बलिया में यह स्थिर बना हुआ है। फाफामऊ में जलस्तर लगभग एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ रहा है। मिर्जापुर में सुबह तक जलस्तर 68.35 मीटर और प्रयागराज में 75.41 मीटर पर स्थिर रहा। वाराणसी में गंगा का जलस्तर निचली सीढ़ियों को डुबोते हुए ऊपरी हिस्सों की ओर बढ़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट पर पानी श्मशान तक पहुंच चुका है, जिससे लोगों को सीढ़ियों पर ही शवदाह करना पड़ रहा है। वहीं, मणिकर्णिका घाट पर भी शवयात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
जलस्तर बढ़ने से दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का स्थान भी पीछे खिसका दिया गया है। मानमंदिर घाट और त्रिपुरा भैरवी घाट का संपर्क मार्ग पूरी तरह डूब चुका है। श्रद्धालु अब पानी में उतर कर घाटों तक आ जा रहे हैं। शिवाला घाट और गुलरिया घाट के बीच की अंतिम सीढ़ी भी जलमग्न हो चुकी है, जिससे दोनों घाटों का संपर्क टूट गया है। इसी तरह भदैनी, निषादराज, मानमहल, और ललिता घाट सहित कई अन्य घाटों का संपर्क भी टूट चुका है। घाटों की सीढ़ियों पर बने मंदिर और शिवलिंग अब गंगा की लहरों में समा चुके हैं।
हालांकि अभी गंगा का जलस्तर स्थिर है, फिर भी तटीय इलाकों के लोगों में आशंका बनी हुई है। लोग जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन सतर्क है — जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मुस्तैद हैं। छोटी नावों के संचालन पर फिलहाल रोक है और श्रद्धालुओं को गहरे पानी में न जाने की सख्त हिदायत दी जा रही है। नाविकों ने अपनी छोटी नावों को सुरक्षित स्थानों पर बांध दिया है। गंगा किनारे रहने वाले माझी समुदाय के लोगों का कहना है कि फिलहाल बाढ़ की स्थिति नहीं है, लेकिन पहाड़ों खास कर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हो रही बारिश के चलते फिर गंगा के जलस्तर में वृद्धि होनी तय है। रविवार रात 8 बजे गंगा का जलस्तर 62.90 मीटर रिकॉर्ड किया गया था, और उस समय यह एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा था।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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