-हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ की थीम पर मनेगा हरेला पर्व
-प्रधानमंत्री के एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत भी रोपे जाएंगे पौधे
देहरादून, 11 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड में इस बार हरेला पर्व पर 16 जुलाई को पांच लाख से अधिक पौधे रोपकर नया रिकॉर्ड बनाया जाएगा। गढ़वाल मंडल में तीन लाख और कुमाऊं मंडल में दाे लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस अभियान की थीम हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ और एक पेड़-मां के नाम रखी गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड प्रकृति के बेहद करीब है। ऐसे में यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि पर्यावरण का संरक्षण करें। पूरे माह इस पर्व के तहत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस पौधरोपण अभियान की सफलता में ग्रामीणों से लेकर स्कूली छात्र और विभिन्न विभागों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुंधाशु की ओर से सभी जिलाधिकारियों को पत्र भी लिखा गया है।
उत्तराखंड में हर साल जुलाई माह में हरेला पर्व का आयोजन किया जाता है। इस बार 16 जुलाई को यह पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व प्रकृति को समर्पित है। ऐसे में इस पर्व पर आमजन की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को संपूर्ण प्रदेश में वृहद स्तर पर पौधरोपण आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। जिसके तहत संपूर्ण प्रदेश में पांच लाख पौधे रोपित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे पहले जुलाई 2016 में प्रदेश में एक ही दिन में करीब दाे लाख पौधे रोपे गए थे और इस बार यह रिकॉर्ड ताेड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप हरेला पर्व के साथ ही एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत संपूर्ण प्रदेश में वृहद स्तर पर यह पौधरोपण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत सार्वजनिक स्थानों, वनों, नदियों, गाड, गदेरों के किनारे, स्कूलों, कॉलेज, विभागीय परिसर, सिटी पार्क, आवासीय परिसर में पौधरोपण किया जाएगा। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों, छात्रों, विभागीय कर्मियों, एनसीसी, एनएसएस के साथ ही आमजनमानस की सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड के लोक पर्व और लोक संस्कृति को एक नई पहचान मिली है। पिछले चार साल में हरेला, इगास, बटर फेस्टिवल, फूलदेई, घी संक्रांति जैसे लोक पर्व को एक नई पहचान मिली है। उत्तराखंड से बाहर भी लोग इन त्योहार को पहचान रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) / राजेश कुमार
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