शिमला, 05 जून (Udaipur Kiran) । राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने विशेष ओलंपिक खिलाड़ियों के योगदान को सराहने और उन्हें भरपूर सहयोग देने पर बल दिया है ताकि इनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके। बुधवार शाम काे स्पेशल ओलंपिक्स भारत-हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि समाज और सरकार दोनों को विशेष खिलाड़ियों को सहायता प्रदान करने और उनका उत्साहवर्द्धन करने के लिए आगे आना चाहिए।
इस समारोह का आयोजन जर्मनी के बर्लिन में आयोजित स्पेशल ओलंपिक्स वर्ल्ड समर गेम्स-2023 और ईटली में आयोजित होने वाले वर्ल्ड विंटर गेम्स-2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों के सम्मान में आयोजित किया गया। ईटली के टयूरिन में आयोजित प्रतियोगिता में 49 सदस्यों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया जिनमें 30 खिलाड़ी और 19 सहायक स्टाफ शामिल था। इनमें से 15 खिलाड़ी हिमाचल प्रदेश से संबंधित थे।
राज्यपाल ने कहा कि कोई भी प्रतियोगिता केवल पदक जीतने की प्रसन्नता मनाने तक ही सीमित नहीं बल्कि यह खिलाड़ियों के साहस, दृढ़निश्चय और प्रतिबद्धता को सम्मान प्रदान करना होता है। उन्होंने इन खिलाड़ियों के प्रशिक्षकों की विशेष तौर पर सराहना की, जिनके संयम, सर्मपण और विश्वास ने उन्हें विश्वस्तरीय प्रतियोगिता के लिए तैयार किया।
शुक्ल ने कहा कि भारत ने इन खेलों में 33 पदक जीते जो इस बात का प्रमाण है कि जब प्रतिभा को अवसर प्रदान किया जाए तो असम्भव भी सम्भव बन जाता है। हिमाचल प्रदेश से 15 खिलाड़ियों और 8 प्रशिक्षकों को तैयार करने तथा इन खिलाड़ियों की उपलब्धियों के लिए एनएचपीसी स्पोर्ट् सेंटर के योगदान को सराहते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार के संस्थान खेल संस्कृति को व्यापक प्रोत्साहन देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने स्पेशल ओलंपिक्स भारत और एशिया पेसिफिक एडवाइज़री काउंसिल की अध्यक्षा डॉ. मलिका नड्डा के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने वर्ष 2002 में बिलासपुर से विशेष ओलंपिक्स की पहल की। उन्होंने स्पेशल ओलंपिक्स हिमाचल प्रदेश की 23 वर्ष की सफल यात्रा पूरी करने और शिमला व नारकण्डा में वर्ष 2008 में पहले नेशनल विंटर गेम्स को सफलतापूर्वक आयोजित करने पर श्रीमती नड्डा को बधाई दी।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने विजेत खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को सम्मानित किया।
डॉ. मलिका नड्डा ने कहा कि स्पेशल ओलंपिक्स में इन खिलाड़ियों की सफलता पूरे राष्ट्र के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि भारत की लगभग पांच प्रतिशत जनसंख्या विशेष रूप से सक्षम है, जिनमें से लगभग एक प्रतिशत लोग बौद्धिक विकलांगता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि टयूरिन की प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों में 15 हिमाचल प्रदेश से हैं।
उन्होंने बताया कि विशेष बच्चों के प्रशिक्षण के लिए एनएचपीसी के सहयोग से हिमाचल प्रदेश में नौ खेल केंद्र विकसित किए गए हैं जबकि देश में ऐसे 72 केंद्र कार्यशील हैं। उन्होंने पदक विजेताओं को प्रदान की जाने वाली धनराशि पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
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