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ड्रग रूल 170 के प्रति जागरुकता के लिए सेमिनार 13 को

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जयपुर, 11 मई . आयुर्वेदिक औषध निर्माताओं को युगानुकूल संदर्भ में सरकारी नियमों के प्रति जागरुकता के लिए आगामी मंगलवार, 13 मई को एक ओनलाइन सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. ड्रग रूल 170 के बारे में व्यवहारिक जानकारी के लिए यह सेमिनार आयोजित की जा रही है.

जिसमें औषध निर्माण विशेषज्ञों द्वारा आयुष औषधियों के निर्माण,भंडारण और विज्ञापन से संबंधित नियमों की जानकारी दी जाएगी. विश्व आयुर्वेद परिषद और आयुर्वेदिक मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के संयुक्त तत्वावधान में यह वेबिनार आयोजित की जा रही है. जिसमें प्रदेशभर के फार्मेसी संचालकों के साथ औषध निर्माण में रुचि रखने वाले चिकित्सक भी भाग लेंगे.

विश्व आयुर्वेद परिषद-औषधी निर्माता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक हरिराम रिणवा ने बताया कि इस कार्यशाला में आयुष मंत्रालय(भारत सरकार) की आयुष फार्माकाॅपिया कमेटी के सलाहकार डाॅ रामपाल सोमानी, राजस्थान के सहायक औषधि नियंत्रक डाॅ समयसिंह मीणा, पूर्व अनुज्ञापन अधिकारी डाॅ अमरसिंह कविया ड्रग रूल्स के संदर्भ में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे.

आयुर्वेदिक मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन राजस्थान के अध्यक्ष श्रवणकुमार डागा ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने मई 2023 में राज्यों के लाइसेंस प्राधिकरण को ड्रग रूल 170 के तहत कार्यवाही नहीं करने के निर्देश दिए थे. विशेषज्ञों का कहना है कि भ्रामक विज्ञापनों के नियंत्रण के लिए ड्रग एंड मैजिक रेमेडी एक्ट 1954 में सरकार द्वारा संशोधन किया जा रहा है. इसलिए अनुचित विज्ञापनों से निपटने के लिए औषधि नियम 170 को छोङा जा सकता है.

लेकिन हाल ही में औषधि नियमावली 1945 के नियम 170 के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद औषधी निर्माताओं में असमंजस की स्थिति है. फार्मेसी संचालकों का कहना है कि मौलिक स्वरूप में अंतर होने के कारण आयुर्वेद औषधियों के निर्माण, बिक्री, विज्ञापन से संबंधित नियम एलोपैथी से अलग होने चाहिए.

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/ राजीव

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