भारत में खानपान की आदतें बदल रही हैं, और इसके साथ ही स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी बढ़ रही है। महाराष्ट्र के नागपुर में एक अनोखी पहल शुरू होने जा रही है, जहां समोसे, जलेबी, चाय और बिस्किट जैसी रोजमर्रा की खाने-पीने की चीजों पर अब सिगरेट की तरह स्वास्थ्य चेतावनी छापने की तैयारी है। यह कदम लोगों को उनके खाने में छिपी चीनी और तेल की मात्रा के प्रति सचेत करने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि मोटापा, डायबिटीज और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से बचा जा सके। आइए, इस नई पहल को विस्तार से समझते हैं।
खाने पर चेतावनी: एक नई शुरुआतनागपुर में जल्द ही उन जगहों पर पोस्टर और बोर्ड नजर आएंगे, जहां से लोग समोसे, जलेबी या अन्य तले-भुने स्नैक्स खरीदते हैं। इन बोर्डों पर लिखा होगा कि आपके पसंदीदा नाश्ते में कितनी चीनी और फैट छिपा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने AIIMS नागपुर सहित कई केंद्रीय संस्थानों को इस तरह के बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है। इसका मकसद है कि लोग अपने खाने की आदतों पर ध्यान दें और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें। AIIMS नागपुर के अधिकारियों ने इस सर्कुलर की पुष्टि की है और बताया कि वे जल्द ही कैफेटेरिया और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर इन चेतावनियों को लागू करेंगे। यह पहल न केवल जागरूकता बढ़ाएगी, बल्कि लोगों को स्वस्थ विकल्प चुनने के लिए प्रेरित भी करेगी।
मोटापे का बढ़ता खतराभारत में मोटापा एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। कार्डियोलॉजिक सोसाइटी ऑफ इंडिया के नागपुर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अमर अमले का कहना है, “चीनी और ट्रांस फैट आज के समय में नए तंबाकू हैं। जैसे सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी दी जाती है, वैसे ही खाद्य पदार्थों पर भी लेबलिंग जरूरी है।” सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे का शिकार हो सकते हैं। यह आंकड़ा भारत को मोटापे के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र बना सकता है। ऐसे में, खाने पर चेतावनी लेबलिंग की यह पहल समय की मांग है।
चीनी और तेल: बीमारियों का जड़अधिक चीनी और तेल का सेवन डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसी बीमारियों को न्योता देता है। सीनियर डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. सुनील गुप्ता बताते हैं, “यह कदम किसी खाद्य पदार्थ पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं है, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए है। उदाहरण के लिए, अगर किसी को पता चले कि एक गुलाब जामुन में 5 चम्मच चीनी होती है, तो वह अगली बार इसे खाने से पहले जरूर सोचेगा।” यह जागरूकता लोगों को अपने खानपान में संतुलन लाने के लिए प्रेरित कर सकती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
क्यों जरूरी है यह जागरूकता?आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर जल्दी और स्वादिष्ट खाने की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन इसकी कीमत उनके स्वास्थ्य को चुकानी पड़ती है। समोसे, जलेबी और अन्य तले-भुने खाद्य पदार्थों में मौजूद अत्यधिक चीनी और फैट शरीर में धीरे-धीरे जमा होते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। इस नई पहल के जरिए सरकार और स्वास्थ्य संस्थान यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग अपने खाने के बारे में सोच-समझकर फैसला लें। यह कदम न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देगा।
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